SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३४) स्तवन : प्यारो प्यारो रे हो वाला मारा पासजिणंद मुने प्यारो; तारो तारो रे हो वाला मारा भवना दुखडा वारो; काशीदेश वाणारसी नगरी; अश्वसेन कुल सोहीभेरे; पासजिणंदा वामानंदा मारा वाला; देखत जन मन मोहीमे ॥१॥ प्यारो...... छप्पन दिग्कुमारी मीली आवे; प्रभुजीने हुलरावे रे; थेई थेई नाच करे मारा वाला हरखे जिन-गुण गावे ॥२॥ प्यारो.. कमठ हठ गाळ्यो प्रभु पाश्र्वे; बळतो उगार्यो फणी नागरे; दीभो सार नवकार नागकुं; धरणेद्रपद पायो ॥३|| प्यारो.... दीक्षा लई प्रभु केवळ पायो; समवसरणे सुहायो रे; दीये मधुरी देशना प्रभुः चौमुख धर्म सुणायो ॥४|| प्यारो..... कर्म खपावी शीव पुर जावे; अजरामर पद पावे रे, ज्ञान अमृत रस फरसे मारा वाला, ज्योति से ज्योत मिलावे ॥५॥ प्यारो. थोय : श्री पास जिणंदा; मुख पूनम चंदा; . पद युग अरविंदा; सेवे चोसठ इन्दा, लंछन नागिंदा; जास पाये सोहंदा; सेवे गुणी वृंदा; जेहथी सुख कंदा ॥१॥
SR No.032202
Book TitleChovish Jina Prachin Stuti Chaityavandan Stavan Thoyadi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Vidyarthi Kalyan Kendra
Publication Year
Total Pages58
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy