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थोय :
वंदो जिन शांति, जास सोवन कांति, टाले भव भ्रांति, मोह मिथ्यात्व शांति, द्रव्य भाव अरि पांति, तास करवा निकांति; धरता मन खांति, शोक संताप वांति ॥१॥
१७. श्री कुंथुनाथ स्वामीनी स्तुति : भावो समस्त जगना सवि जाणनारा, भन्यो तणा दुरित दुःख विनाशनारा, नित्ये नमु विमलमार्ग बतावनारा,
श्री कुंथुनाथ : भवसिन्धु उतारनारा. चैत्यवंदन :
कुंथुनाथ कामित दीये, गजपुरनो राय, सिरि माता उरे अवतया, सुर नरपति ताय ॥१॥ काया पांत्रीश धनुषनी, लंछन जस छाग, केवलज्ञानादिक गुणों, प्रणमो धरी राग ॥२॥ सहस पंचा' वरसर्नु , पाली उत्तम माय, पद्मविजय कहे प्रणमीमे, भावे श्री जिनराय ॥३॥