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स्तवन :
थाशु प्रेम बन्यो छे राज, निर्वहशो तो लेखे में रागी थें छो निरागी, भणजुगते होय हांसी, मेक पखो जे नेह निर्षहवी, तेमां की शाबाशी ॥१॥ था .... निरागी सेवे कांई होवे, अम मनमा नवि आणु, फळे अचेतन पण जेम सुरमणि, तिम तुम भक्ति प्रमाणु ॥२॥ थाझं... चंदन शीतलता उपजावे, अग्नि ते शीत मीटावे, सेवकनां तिम दुःख गमावे, प्रभु गुण प्रेम स्वभावे ॥३॥ थाशं... व्यसन उदय जे जलधि अनुहरे, शशीने तेह संबंधे; अण संबंधे कुमुद अनुहरे, शुद्ध स्वभाव प्रबंधे ॥४॥ था... देव अनेरा तुमथी छोटा, थें जगमां अधिकेरा, यश कहे धर्म जिनेश्वर थाशु, दिल मान्या है मेरा ॥५॥ थाशु...
थोय:
धरम धरम धोरी, कर्मना पास तोरी, केवल श्री जोरी, जेह चोरे न चोरी, दर्शन मद छोरी, जाय भाग्या सटोरी, नमे सुरनर कोरी, ते वरे सिदि गोरी ॥१॥