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श्रा प्राचीनस्तवनावली . . . . [४१ राज सभा श्रृंगारक, संघवी राजाराम ॥२॥ लूणिया गोत्र सुशोभित, संघवी तिलोकचन्द गिरिवरकी महिमा सुण, पायो परमाणंद ॥ कुंकुमपत्रि भेजके, बोलायो बहु संघ । प्रथम करी पालीपूरे, रथयात्रा मनरंग । मिरजापुर जेनगरका, किशनगडावी काण । मेड़ता सोजत नागोर, जेशलमेर जोधाण ॥ पालीपूर जालोरका, पालणपूर भीनमाल । संघ समेला संचरे, पाटण नगर विशाल ॥७॥ तिहां जिनचैत्य जुहारके, देव द्रव्य कर वृद्धि ।शस्वेश्वर प्रभु भेटिया, करी आतम गुण शुद्धि ॥ पाटण राधनपूर तणा, अमदावादी संघ। साथ लेइ गिरिनारे भेट्या नेमि उमंघ॥ श्री जिनचंद पटोधर श्री खरतर गच्छनाथ। श्री जिन हर्ष सूरिसर, बोलाविया निज साथ । खरतर आचारज युग, श्री जिनचन्द मुनीश। श्री सिद्धसूर कवला पति, साथे धूरिसु जागइ ॥९॥ संवेगी साधु वली, समयोचित गुणवंत । संघ साथे बहु विचरे, धरता समतावंत ॥ सामायिक पडिकमणादिक