________________
श्री प्राचीनस्तेवनावली . . . . ७ स्स वरस पच्चीस जेठ वदी तेरस वरस लक्ख संपूरन सामी लियोमोक्ष सम्पूर्ण स्वामी लयो मोक्ष ॥४॥ दुहा॥थुणिये सुजाण पांच कल्याण अणयर पुर श्री तिलो वरे देवा अणियर पुर श्री तिलोवरं श्री शान्त जिनेसर भवन जिनेसर हवे. विजय श्री शान्त करो, देवा हवे वीजे श्री शान्त करों ॥ सम्पूर्ण ॥
॥ चौथका स्तवन ॥
देश मेवाडमें दीपता ए राह सोहे सहस्स फणा सोहामणा सोहे श्रीरे चिंतामण पासजी सोहे लोद्रवपुर महिमा, घणी, जब जागंती ज्योत उजासरे ॥सो० ॥१॥ होजी जग सहु आवे जातरी, दिन नवा नवा गेह गाटरे। सोहे स्नात्रपूजा नाटक भला, भला धूपधाणासु घाटरे ॥ सो० ॥२॥
॥ढाल २री॥ सह्यां मोरी जूनो नगरभलो लोद्रवो, मांड्या सखरा मंडाण है सह्यां । पार्श्वनाथजीरो देहरो,