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११४] . . . . श्री प्राचीनस्तवनावली रायण रूंख समोसरथा स्वामी, पूर्व नवाणुं मोटीरे ॥ सिद्ध० ॥१॥ पांच कोडीसुं पुंडरीक सिद्धा, बेबे कोडिशुं नमि विनमि जाणोरे । दश कोडि परिवारे द्राविड़, वारि खिल्ल वखाणोरे ॥ सिद्ध० ॥ २॥ राम भरत पांडव नारद ऋषिराया, गुण प्रभुका इहां गायारे । कर्म खपावी केवल पाया, हुवा शिवरमणी रायारे ॥ सिद्ध० ॥३॥ थावच्चा पुत्र ने शुक शैलक मुनि, देवकीनन्दन सिद्धारे । शांब प्रद्युम्न कुमार इहा सिद्धा, कारज निजनिज कीधारे ॥ सिद्ध० ॥ ४॥ गिरिवरे जिनजीकी सेवा हेवा, नितनित मुझने होजोरे । जिनज्ञाने जिनध्याने रहिने, 'जिनचन्द्र' पद लेजोरे ॥सिद्ध०॥५॥
॥ स्तवन २ जुं॥ सिद्धाचल मंडण स्वामीरे-ए देशी। . चौमासु सिद्धाचल रहियेरे, मंदिर तलाटीये नित जइयेरे । हारे जिन दर्शनना द्वेषि न थइये