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हाँ हाँ गुण गाऊँगा हाँ गुण गाऊँगा हाँ प्रभु रिषभ जिनंद का, मरूदेवी माता नामी के नंदन, जिनके पुत्र को शीश नमाऊँगा दीन बन्धु दीनदयाला, हरदम रटने में चित्त लगाऊंगा रात दिवस प्रभु के भजनों में दिल को खूब जमाऊंगा नेमचन्द प्रभु शरणे तिहारे, जिन नाम से प्रीत लगाऊंगा
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आदि जिनंद मनाया मैंने रिषभ जिनंद मनाया सोने की भारी गंगा जल पानी
प्रभुजी को नहावन कराया ॥मैंने ॥१॥ केशर चंदन भरी रे कटोरी
प्रभुजी की पूजा रचाया ॥ मैंने ॥ २ ॥ धूप दीप में फूल सुगन्धि,
प्रभुजी की अंगीया रचाया। मैंने ॥शा पाँच वरण का पुष्प मंगावू,
जिनजी को हार पहनाया । मैंने ॥४॥ सेवक प्रभुजी के शरणे आया,
चरणों में शीश नमाया ॥ मैंने ॥५॥