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[ १३२ ] (२१) श्री नमिनाथ जिन स्तुति नमिये नमि नेह, पुण्य थाये ज्युं देह; अध समुदय जेह, ते रहे नांहि रेह, लहे केवल तेह, सेवनाकार्य एह, लहे शिवपुर गेह; कर्मनों आंणी छेड ॥१
(२२) श्री नेमिनाथ जिन स्तुति (श्री शत्रुजय तीरथ सार--ए देशो ) श्री गिरनार शिखर शणगार, राजीमती हैयानो हार, जिनवर नेमि कुमार, पुरण करूणा-रस-भंडार, उगायाँ पशुंआं अंबार, समुद्र विजय मल्हार, मोर करे मधुरा किंकार; विचे विचे कोयलना टहुकार, सहस गमे सहकार, सहसावनमां हुआ अणगार, प्रभुजी पाम्या केवल सार, पोहाता मुक्ति मोझार ॥१ड
राजुल वर नारी, रुपयी रतिहारी, तेहना परिहारी. बाल थी ब्रह्मचारी; पशुआं उगारी, हुआचरित्रधारी, केवल-श्री सारी, पामिया घाती वारी॥१॥
(२३) श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति शंखेश्वर पासजी पूजीए, नरभवनो लाहो लीजीए; मनवांछित पूरण सुरतरु, जय वामासुत अवलेसरु ॥१॥