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(१७) श्री कुंथुनाथ जिन स्तुति कुथुजिन नाथ, जे करे छे सनाथ तारे भव पाथ, जे ग्रही भव्य हाथ एहनो तजे साथ, बावले दीये बाथ, तरे सुर नर साथ, जे सुणे एक गाथ ॥ १ ॥
(१८) श्री अरनाथ जिन स्तुति अरजिनवर राया जेहनी देवी माया, सुदर्शन नृप ताया, जास सुवर्ण काया; नदावर्त पाया, देशना शुद्ध दाया, समवसरण विचराया, इन्द्र ईन्द्राणी गाया ॥१॥
(१६) श्री मल्लिनाथ जिन स्तुति मल्लि जिन नामे, संपदा कोडि पामे, दुरगति दुःख वामे, स्वर्गना सुख जामे; संयम अभिरामे, जे यथाख्याल नामे, करी कर्म विरामे, जई वसे सिद्ध धामे ॥ १॥
(२०) श्री मुनिसुव्रत जिन स्तुति मुनिसुव्रत नामे, जे भवि चित्त कामे, सवि सम्पति पामे, स्वर्गना सुख जामे; दुर्गति दुःख वामे, नवि पडे मोह भामे, सवि कर्म विरामे, जई वसे सिद्ध धामे ॥१॥