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चन्दन बालाने बारणे आव्या, अभिग्रह पूरण काज, हरखित चन्दनबाला निरखो, पाछा वलया भगवान- आवो रडती चन्दनबाला बोले, क्षमा करो भगवान, कृपा करो मुज रंकज उपरे, ल्यो बाकुला आज---आवो० बार ब्रतमा एक व्रत नहि छतां थशे भगवान, श्रेणिक भक्ति जाणी प्रभु ए, कीधा आप समान---आवो०
वीर वीरनी घून जगावो प्रभु वीरनां दर्शन पावो
प्रभु वीरने शीर झुकावो ॥वीर०॥ भव सागरमां वीर सुकानी, नैया पार तरावो, पापनी भेखड दुर हटावी, शिव मन्दिर बतलाओ,
प्रभु वीरने शीर झुकावो ॥ वीर० ।। देह सदनमा आत्म जगाडी, ज्ञान ज्योत प्रगटावो, भाव भरेला अमीरस सींची, चंदु भव मिटावो
. प्रभु वीरने शीर सुकावो । वीर०॥
(१२) वीर तारु नाम वहालु लागे, हो श्याम शिवसुख दाया क्षत्रियकुंड मां जनम्या जिनन्दजी, दिग्कुमरी हुलराया ॥१॥ माथाना मुगट छो आंखोना तारा, जन्मथी मेरु कंपाया ॥२॥ मित्रोनी साथे रमत रमतां, देव भुजंग रुप ठाया ॥३॥ निर्भय नाथे भुजंग फेंकी आमल क्रीडा ने सोहाया ।।४।।