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गयणदिविरइयउ
[४. १५. ५खणे गाढिउ दाढिउ आलवेइ णिरु दित्तहि दंतहि अहरु लेइ। ५ मणु जोयइ झायइ जहि जि जहि पडिहासइ भासइ तहि जि तहि । सुंदरि पर थणहरणवियदेह दिहि दिती ती णवसणेह। . संबोहणु सोहणु खणे पढेइ पर ताहि तिसाइहि मणि लढेइ ।। घत्ता-सेणिउ सुणइ गोत्तमु भणइ णयणंदिउ जगसामिउ"।
बुहलिणरवि जिणवरु मुयवि मयणे को णायामिउ ॥१५॥ १०
एत्थ सुदंसणचरिए पंचणमोक्कारफलपयासयरे माणिकर्णदितइविजसीसणयणंदिणा रइए मणोहरउ जाइउ पुणु वि अंस तह सत्तई तओ सयलदेसिउ पयइभावदेहिंगिय पुणो जुबइलक्खणं विरतु रायसेट्टिसुए इमाण कयवण्णणो चउत्थो संधी सम्प्रत्तो ।
संधि ॥४॥
१५. ४ ग घ पावलेइ। ५ क ख ग जोयइ। ६ क मणु जोयइ जहिं जहिं पडिहसेइ भासह तहि तहि कामु जि भणेइ। ७ ख परि। ८ क णिवसणेह । ६ ख सखि । १० क परताइति साइति मणु लढेइ ख पडितोइवि साइवि मणि लुढेइ घ परताहिइ तिसाइहि मणु लुढेइ । ११ ख जगि। १२ ख को वि ण यामिउ ।