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गयणदिविरइयउ
[४. १२. १३
णिल्लज्ज
हयकज्जा जा हवइ
सा जुवइ। मा रमसु
परिहरसु। इय छंदु
आणंदु। घत्ता–करिकरभुयहाँ वणिवरसुयही दियवरु पणएँ जुत्तउ ।
रहसु ण रहइ अवरु वि कहइ थीलक्खणु संखित्तउ ।।१२।।
पसत्थजंघोरु थणग्गवित्ता। पईहहत्थंगुलिणक्खणेत्ता ।। सुणास हेमच्छवि उच्चभाला। तिउत्तरंती स हवेइ बाला ।। ( उविंदवजा ) कायस्स जंघोरजुयं अभदं । कायस्स दिट्ठी तह कायसहं ।। पारंगुली काउं-समाउ जीए। जाणेहि दीहाउसु णस्थि तीए । सुवेणुवीणाकलहंसवाणी।
। सुवित्त णाहीथण चारुपाणी ॥ सवित्त मानी जाती मायंगलीलागइ मुद्ध सामा। सा होइ पुत्ताइयलच्छि धामा ।। ( उवजाई ) सव्वे वि रत्तुप्पलच्छाय जाया । मुहं णहुट्ठाहरहत्थपाया॥ णासुच्चओ सिंधुरदिट्टि जीए। हवेइ Yणं सुहवत्तु तीए ॥ ( अक्खाणए)
१२. २ क ‘गयतंदु जाणेहि' इतना अधिक पाठ जोड़ा गया है। ३ ख ग घ करिवर कर भुयहो। ४ क संकित्तउ (टि० प्रशस्ताः )।
१३. क चित्ता। २ क ो विसाला। ३ ख ग घ तिपुत्तवंती। ४ ख ग घ पायंगुलीया। ५ क सव्वे रत्तु वि छाय जाय । मुहं नहाहर; ख सुहत्थ उंचेहर। ६ क ग घ मक्खीणई।