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४. ६.५]
सुदसणचरित झत्ति विरप्पइ
अंगु ण अप्पइ। सच्चे विणएँ
दाणे पणएँ। मा किं पि वि भणु तहे घिप्पइ मणु। छंदु पवुत्तउ
मयणु णिरुत्तउ। घत्ता-जिह लक्खियउ तिह अक्खियउ पयइउ जाउ विहिण्ण।
गुण गंथियउ एक्कहिँ थियउ ताओ होंति संकिण्णउ ॥७॥
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संकिण्णउ जिह पयइउ' भासिउ जाइ अंस सत्तइ तिह देसिउ। चाउरंगसेण्णे जिह राणउ होइ तिह वि तयभावपहाणउ । सो वि तिविहु संखेने वुत्तउ सुद्धअसुद्धमिस्सगुणजुत्त। सो विसुद्धभाउ वि तिपयारउ जाणहि मंदु तिक्खु तिक्खयरउ । ईसि ईसि लज्जंकमणिहिष्ण मंदभाउ जाणिज्जइ दिट्ठिए। दिहि वि तिविह मउल तह लुलिया अवर कडक्खवलिय परिकलिया। हिययविहियवरगुणउक्करिसे पियमाणसे जा पेल्लिय हरिसे । मउलिय पुणु वित्थरही ण वच्चई मउला णाम दिट्ठि" सा वुच्चइ । घत्ता-मणजाएण अणुराएण वियसइ पिययम वच्चइ।
जले मच्छु जिह जा ललई लुलिय दिट्ठि सा वुच्चइ ॥८॥
गुरुयणहँ मज्झम्मि लज्जंकुसंकुसिय करिणि व्य अणुसरइ पिउ पेम्मभरवसिय । सुकडक्खविक्खेव करिऊण जा वलइ सुकडक्खवलिय त्ति बुहलोउ' सा कलई। वियसइ णसंदेहु पिष्ट दिढे मुहु मलिणु दिवसयरउग्गमणे कमलसर जिह णलिणु। उट्ठउडु परिफुरइ थरहरइ मणु केम खरचटुलपवणहउ देवउलधउ जेम । धावइ पसेओ वि गंडयले सुहि जाणु सो तिक्खभावेण मयगलही णं दाणु। ५
७. ४ ख पयई जाइ वि दिएणउ। ५ क तो तडियउ ।
८. १ ख पयएं। २ क तह; घ तिहि। ३ ख पियसमाणः ग घ वियसमाण । ४ ख वुच्चइ। ५ ख म उल दिट्ठि णामें। ६ घ जले मज्झ जिहं जा ललइ ।
__६. १ क कोउ। २ ख संकलइ। ३ ख दिवसयरि उग्गवरिण सरि कमलि । ४ ख हउट्ठवडि। ५ ख हउपवण देवलह ।