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पक्क बिंबवण्ण हो
विहादु
कंठमज्भु सुठु भाइ
सुडहुड
जित्तसोयवत्त हत्य
वच्छु 'चक्कलं विहाइ मज्झए मुट्ठिगेज्
सुग्गीरुणाहि
सोहगी
दो वि पीण जंधियाउ
गूढगुफया सहति
६
कुम्माय
भास हा पंति
१०.
११.
दिविर
सुहिसहिउ णयरे हिंडंतु भाइ ता सरइ समुहु तो तरुणिजू हु कवि अघाडिय थण करेइ कवि भणइ सुहय थिरु थाहि ताम काहिँ विरइहु हु उ दंसणेण कवि भइ महराहरण लेहि कवि गिरविमुक्त एत्तिउ करे इ कवि भइ रक्खि मइँ एक्कवार सिहितविय सिलाइव हउँ जि तत्त आहरण का विवरीय लेइ
किंण होंति लच्छि |
रिब्भपुरणमिंदु |
तिणिरेहसंखु णाइ । सुरिंदहत्थिसुंड ।
चूर समत्य ।
च्छिक हम्मु णाइ |
५
इँ वजदंड
णं अणंगसप्पगेहु ।
-गाई कामरायपीदु ।
ऊवमाविवज्जियाउ ।
णाइँ कामरायमंति ।
।
अंगुलिल्ल पाय ।
छंद समाणियं ति ।
घत्ता - बहुभेयइँ एयइँ लक्खणइँ अवरइँ जाइँ वि गयमल हूँ । इह दीसहिँ सीसहिँ कइयणहिँ ताइँ ताइँ धम्मो फलइँ ॥१०॥
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[ ३.१०.८
उडुगणसमाणु ससि गयणि णाइ । सुरकरिहि णाइँ करिणीसमूहु ।
इंगिउ ह ण करे घरेइ । महु णयणरंक भवलिंति' जाम । पुणुरुत्तत् किं फंसणेण । बोलावं तिहि पविणु देहि । पण केलि जिह थरह रेइ । विरहिं मारंतिहि णिव्वियार । परकज्जु व तुहुँ सीयलउ मित्त । दप्पणियबिंब तिलउ देइ ।
४ ख ग घ चकलो ।
१ ख धवलेंति; घ धउलिति । २ ख विरहेण मरति ह ।
५ ख ग घ इंदवन' । ६ ख कुम्मराय ।
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५.