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२. १५. १०]
सुदंसणचरिउ घत्ता-सो गोवउ आउसुथोवउ सुमरेवि पयपरमेट्ठिहिँ। विसभरियहिँ णं णाइणियहिँ णिवडिउ णं जमदिद्विहि ॥१३॥ १०
१४ तहिँ जलमज्झि हिथिउ थाणु एक्कु जिह गयणु तेम सो उद्धसुक्कु । जिह गयणु तेम सो मीणजुत्तु जिह गयणु तेम कक्कडविचित्तु । जलि बुड्डउ सो केरिसु विहाइ तहा पाणहरणु थिउ कालु णाई। कयझंपहा तं तहा हियश जाइ वम्मइ लुणंतु खलवयणु णाई। भिंदइ उरु भक्खइ पुट्ठिमांसु खुटुंवि तहा कम्मे हुउ पलासु । उव्विविरु सो णिउँ धुणइ अंगु जले जालि वडिउ णं मीणसंगु। पर्य कर वि ण चल्लहि तासु केम कुणरेसही उज्जडि गाम जेम। तहिँ कालि विवजेवि देहसोउ बंधइ णियाणु लहु एस गोउ। घत्ता-पंचपयहँ फलु जइ अायहँ अस्थि होउ तो वणिकुलु ।
बहुसोक्खहो गच्छमि मोक्खही जेण विणासिय-कलिमलु ॥१४॥ १० । जिह पंचिंदिएहिँ सोहई मणु पंचवण्ण'कुसुमहि जिह उववणु। पंचसिलीमुहेहि जिह वम्महु पंचहिँ पंडवेहि जिह भारहु । पंचाणुव्वएहि जिह भवियणु पंचमहवएहि जिह मुणिगणु । पंचपंच भावगहिँ वयक्कमु पंचाचारहि जिह रिसिपुंगमु । पंचमहाकल्लाणहिँ जिह जिणु पंचत्थियकायहिँ जिह तिहुयणु। ५ पंचहिँ मंदरेहि जिह महियलु पंचच्छरियहि जिह दाणही फलु। पंचंगे मंते जिह महिपहु पंचविहहिँ जोइसयहि जिह णहु । पंचसयहिँ पमाणु जोयणु जिह पंचणमोकारहिँ मरणु वि तिह । धत्ता-मणु खंचेवि जे पय पंच वि इय झायहि आणंदिय ।
सिद्धालउ अट्ठगुणालउ ते लहंति णयणंदिय ॥१५॥
एस्थ सुदंस गरिए पंचगमोक्कारफलपयासयरे माणिक्कणंदितइविजसीसणयणंदिणा रइए तिलोउ विसउ पुरं णिवइ सेट्ठि तहो गेहिणी पुणो सुहयगोवहो मुणिसयासे पुण्णजगं तरंगिणिमहाजले तसु खुंटउरभेयगेण मरणं इमाग कयवण्णणो दुइजओ संधी सम्मत्तओ।
संधि ॥२॥
१३. ७ ग घ गोविउ पाउसुथोविउ। ८ ग घ गइ हाइणिहे ।
१४. १ख जलहो मझे। २ क जलबुडउ। ३ घवम्मह। ४ क खंड घ खंट । ५ क वुरगइ। ६ ख घ जाल। ७ क ख पए। ८ क सुहं ग घ सहु। ६ ख विणासेवि ।
१५. १ ख वएणुः ग घ पंचवरणजिह । २ क भावहिं जिह वयकमु ।