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१२. ६.२]
सुदसणचरिउ अच्छउ तं दुल्लहु मोक्खठाउ इहरत वि लहइ जणाणुराउ। जंभारिसो वि संकरइ पूय गहें रक्खस वसि जायंति भूय । गलांडरोयसय खयही जति विसउवविसाइँ दिट्टिई ण एंति । विछिय अहि मूसय णउ डसंति विग्घइँ ण होति दुजण तसंति । घत्ता-इय णिसुणिवि मगहेसरु थुणिवि जिणेसरु गिरि ओयरिवि णिकेयहो।
गउ मंदरगिरिवरथिरु सोहइ णं चिरु भरहेसरु साकेयही ॥७॥ १०
आयहा गंथही बुहजणियतुहि विरइय अरहतहिँ अत्थसिट्ठि। पुणु गंथसिद्धि जयमणहरेण गोत्तमअहिहाणे" गणहरेण। सोहम्में जंबूसामिएण पुणु विहुदत्ते दिविगामिएण। पुणु णदिमित्त अवरज्जिएण गोवद्धणेण सुरपुजिएण। पुणु भद्दबाहुपरमेसरेण पयडेवि विसाहमुणीसरेण । पोढिल्लएण पुणु खत्तिएण जयणामें धम्मपवत्तएण। णागें सिद्धत्थें संजएण दिहिसेणें तवसिरिरंजिएण। पुणु विजयसेणे बुद्धिल्लएण पुणु गंगदेवणामिल्लएण। पुणु धम्मसेणे णक्खत्तएण जयपाले मुणिजयपत्तएण। पुंडुडुवसेणें जियमयेण पुणु कंसायरिएँ गयभएण। सुभद्दे जयभपुंगमेण लोहज्जे सिक्कोडिग कमेण। पत्ता-गणहरएवमुणिंदहिँ कुवलयचंदहिँ एयहिँ अवरहिँ अवियलु ।
आहासिउ पवयणे जिह मइँ भवियर्ष तिह पंचणमोकारहँ फलु ॥८॥
जिणिंदस्स वीरस्स तित्थे महंते । महाकुंदकुंदण्णए एंतसंते॥
७. ५ क गय। ६ क दिविहे एंति । ७ क गिरिउ परिवि ; ख गिरि उवयरि ।
८. १ ख गोयम अहिणाणें। २ क संपुबिएण । ३ ग घ पयडेविणु साहुमुणीसरेण । ४ ख पवित्तिएण। ५ ग घ दिविसेणें। ६ ग घ पुढिल्लएण। ७ क जियमणेण। ८ क जसभड़ें।