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१०. ७. २]
सुदसणचरित किवाणेण भीसं हयं तस्स सीसं । णरिंदो पहिठ्ठो पुरे सो पइट्ठो।
(सोमराई णाम छंदो) घत्ता-हयहयथर्ड गयगयघर्ड उब्भडभडकयरंगणे। . __ २०
असिअसियउ विहिविहियउँ मरवि समरु समरंगणे ॥५॥
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वच्छदेसष्ट गोटिन हुउ साणु
पंचाणणसमसरिसु एक दियहिँ गोवीहिँ सहियो। कोसंविहिँ आइयउ परिभमंतु जिणभवर्ण रहियओ॥
जा कुरंगि होंती समरि सा कालेण विवण्ण ।
महिसि जाय कासीविस वाणारसिहि रवण्ण ॥वस्तु॥ भवंतरे होतउ आसि किराउ पुणो हुउ जो भल्लहुल्लु बराउ । मरेप्पिणु अंगयदेसि दुगेज्म __ अकंपहे चंपहे सो तहि मझ॥ समिद्धयलुद्धयसीहपियाहिँ हुओ किर णंदणु सीहिणियाहिँ ॥ कुलक्खयकम्म खलो हु करंतु सुयस मिसेण य पत्तु कयंतु। तओ सुहओ कयगोहणरक्खु णियच्छइ काणणे साहु जियक्खु ॥ णमो अरहंतपयं मुणिऊण सुदंसणु तं सि हुओं मरिऊण । तवेण जि घोरुवसग्गु सहेवि अगोवमु केवलणाणु लहेवि ॥ अफासु अगंधु असदु अचक्खु अणंतचउक्कु लहीसहि मोक्खु । घत्ता-जा होतिय भिल्लहा पिय पुणु हुय महिसि भवंतरे ।
सा कालें असराले णिवडिय जमदंतंतर ॥६॥
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चंपपट्टणे रजयसामलहो
जसवइहिँ वच्छिणि दुहिय होवि विहव अणथमिउ लेप्पिणु ।
५. ५ करंजणे। ६ ख विहिवसियउ। ७ क सबरु ।
६. क एकहिं । २ ख मरेविणु। ३ क दुसज्झे। ४ ख कुलक्खउ जाम खणुजकरंतु ग घ कुलक्ख कम्म। ५ क खलोव्व ; ग घ खलोज । ६ ख सुवस्स। ७ क सुणिऊण । ८ ख तं जि हुमोः ग घ तं सुहो। ९ क ग घ प्रभक्खु ।
७. १ ख रऊयसामलहो; ग घ रज्जव सामलहें । २ क वछि। ३ ख लेविणु ।