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६. १६. ५ ]
सुदंसणचरिउ
घत्ता - चयवि जोउ णिउ रक्खियउ मेलाविउ भडयणु असिभीसणु । अवयाहि उवयारु जइ को करेइ मेलेवि सुदंसणु ॥ १५॥
सो दूरें अच्छउ' ताम राउ एत्यंतरे तेण णिसायरेण अक्खिज्जइ रायहो कवडजुत्तु थिय' कामएवउच्छंगे जइ वि तु अग्गमहिसि वें वरासु अंध आणावि वणंदु सूरुग्गर्म णवर विलक्खियान सहसा पइँ पेसिय किंकरेहि ता आसणक मुणिवि एत्थु मिंग विमारिणउ मरंति साहिवि जइ वि संपत्तु जाम
अवरु अनंतरुहविवक्खु
तो पच्छुत्ता करंतु राउ
म हु किं दोसवियारणेण
१८.
५ ख ग खम ।
१६.
तो इणिवा' उत्तउ
सुद्धसहाउ सुमणु उवहसणहिँ
छारें दप्पणु व्व उब्भासइ
अवरु करेणु धिट्ठउ पइँ रक्खि हउँ लद्धअकित्तणु
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देव वि णमंति जसु धर्म्म भाउ ।
तं बलु जीवविउ सायरेण ॥ देव विदुक्ख तियचरित्तु । पुरिसंतरुतिय अहिलसइ तइ वि ॥ अहिलासहो गय सुहृदंसणासु । थिउ णिच्चलंगु णं महिहरिंदु ॥
फाडिवि धाहाविउ तान । जा हम्म तिक्खहिँ असिवरेहिँ ॥ आदेवि महूँ खिल्लिउ भिच्चसत्थु । अम्हारिस उवसग्गइँ हरंति
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घत्ता - सप्पुरिसह किं बहुगुगहिँ पज्जत्तं दोहि " णराहिव । तडिविष्फुरणु व रोसु मर्ण मित्ती पहाणरेहा इव ॥ १८ ॥
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इँ मायालु णिम्मविउ ताम । तं सलु विइ तुज्भु जिं पक्खु । पुणरवि मण्णावइ साणुराउ ।
तं णिणिव जंपि वणिवरेण ।
१ ख अच्छइ ।
६ क जंपिजइ ।
सरिस उवस पर जुत्तउ । णिच्च वि णिदिज्जंत पिसुनहि । णिम्मलु अहिययरं पडिहासई ।
विणु तुह पसरणु इट्ठउ । पहूँ महु दिष्णु रज्जु मणुयत्तणु ।
२ क थिउ । ७ क दोह
१ ख पाले । २ ग घ परि° ।
३ क त्रियारिय | पहाणे हा ।
३ ख मि पयासइ |
४ ख ब ।
४ क प्रक्खित्तणु ।
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