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- १. ३. १२]
सुदंसणचरित
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भणइ का वि लग्गेवि गलकंदले भिडेवि तेत्थु उब्भडभडगोंदले । आणसु धयवडाओ सुविसालअ करमि जेम घरि वंदणमालउ'। भणइ का वि सिंदूर पंकिय विप्फुरतमोत्तियहि अलंकिय । आणि गंपि अरिकरिसिरसंघड करमि जेम णियघर मंगलघड । भणइ का वि कामिणि कामाउर जइ पइँ हरवि णेइ पवरच्छर। तिलु तिलु लुणिवि देहु सइँ घायमि ता णिरुत्तु तियवहु तुह लायमि । भणइ का वि पहुकज्जु करेजसुदुरयतुरंगणियरु घाएजसु । अरिबलु पबलु सयलु बलि दिज्जसु महु घरे विजयरेह आणिज्जसु । घत्ता-णीसेसु वि बलु सण्णहेवि सहुँ धरणीसरेहि संचल्लिउ ।
सोहइ पच्छायंतु महि जुयखण णं समुदु उच्छल्लिउ ॥२॥
१० ।
चलइ णिवबलं दलइ महियलं। सहइ णहभरं' वहइ अइडरं ॥ दलइ फणिउलं चलइ आउलं। मुयइ विससिहिं हरइ जणदिहिं ।। चलई जलथलं खलइ अरिबलं । करइ भयरसं सरइ दसदिसं॥ मिलइ हयथडो घुलइ धयवडो। मुसइ अंबरं पुसईं दिणयरं ।। रसइ पडहओ उसई करहओ। कमइ संदणो भमइ भडयणो । रुलइ रयभरों चलई णिभरो।
चडइ णहयले पडइ महियले ।। २. १ ख भिडइ। २ ग घ बंदुरमालउ। ३ ख विप्फुरेहि । ४ ख णियवउ । ५ ग घ तुरय। ६ क ग घ सरेण ।
३. १ क ग घ णहुभरं। २ ख विसहरं। ३ घ जलइ। ४ ख भडथडो। ५ क लुडइ। ६ ख सुसइ। ७ ख कसइ। ८ क रुलइ रइभमो (टि० रजोभ्रमः); ख चलई । ६ ख रलइ।