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णयणंदिविरहयउ
[.. ११.९घत्ता-सत्त वि आणिय णियघरही पंडियन संक परिसेसिवि।।
पच्छाइय क्त्येहि किह जिहँ गुणहिँ दोस णीसेस वि ॥११॥ १०
तुहिक्किय थक्किय णियघरए संपत्त पडिवावासरए। पुत्तलउ एक्कु णिरु पहसियए...सहसा संचालिउ विउसियए। तो मंदमंद चल्लंतियए पुणु थामे थामे मेलतियए। संझागम-एम करंतियए तहिँ पढमदार संपत्तियए। कट्ठीहरम्मि आउच्छियए किं एउ ताम अरुणच्छियए । जंपिजन रोसु फुरतियएकिं एयश तुम्हहुँ तत्तियए । इय वयणहि रक्खवाल कुविय पंडियन समुहुँ भिडिग लविय । एक्कु जि अणपुच्छिवि पइसरहि अण्णु वि पुच्छिय कोवउ करहि । किं पि वि सकज्जु विरयंतियहे तुह काइँ हुयउँ पइसतियहे। जइ कि पि दोसु इह संभवइ तो अम्हहँ राणउ णिग्गहइ। घत्ता-पइसतिहिँ उप्परियणउ कड्ढिउ पडिहारिहि केहउ । । सयरहँ सुएहि समच्छरेहिँ गंगापवाहु चिरु जेहउ ॥१२॥
१३ फोडेवि वाउल्लओ डंभजुत्तायता भासियं एम' आरत्तणेत्तान। पुज्जा करेऊण वाउल्लए सज्ज देवी सगेहम्मि जग्गेसए अज्ज । तुम्हेहिँ भग्गो इमो कल्लि सव्वाण सीसं हणामेमि उव्वूढगव्वाण । बुद्धेण सिद्धेण वाएँ खगिंदेण खंदेण इंदेण देवाण विदेण। जखेण रक्खेण चंदेण सूरेण राएण-णाएण कालेण कूरेण । हीरेण थेरेण लंबोयरेणावि अत्थीह तुम्हाण रक्खा ण केणावि ।
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११. ६ ख जहि ।
१२. १ घ थक्किइ। २ ग घ कट्ठियहरम्मि। ३ क एयउ । ४ ग घ ताए। ५ ख सम्मुहुँ वि भिउडि। ६ क ख वि। ७ क तुम्ह का ई हुआ। ८ क पडिहारहिं।
१३. ख एव। २ क करे जेहिं । ३ क इंदेण देवाण विदेण जखेण; स ईदें परिदेण देवाण विदेण। ४ क रक्षेण चंदेण सूरेण गाहेण ।