________________
[७. १२.७
यणदिविरइयउ चायभोयसंजुत्तिय अंतेउरपहाणिया। ललिय जेम तुहुँ सूहव गरणाहस्स राणिया ॥ तुहुँ जि एक्क सुवियक्खण वण्णइ सयलु पुरयणो'। अइछइल्ल तो जाणमि जइ चालेहि तसु मणो ॥ तो मयंध उच्छल्लिय अभयादेवि गजए। - पुणु वि पुणु वि तुहु वयणहिँ हासउ मज्झु दिजए॥ बुद्धिवंत पारंभहिँ जंतं किं ण छज्जए। जंपिएण किं बहुणा एहउ कोड्डु किज्जए ॥ मयरकेउ सुहृदंसणु जइ ण रमेमि हउँ हले। तो मरेमि ओलंबेवि पासउ कंठंकंदले ।। जइ पइज्जणउ पालमि तो हउँ कविले लंजिया। छंदु एउ सुपसिद्धउ णामे सालहंजिया । घत्ता-इय करिवि पइज्ज अभया मर्णण चमकइ ।
संचारिमणाइँ वाउल्लिय परिसक्कइ ॥१२।।
विलासहासुब्भवभाववत्तिया' चलंति उजाणवणं पहुत्तिया।
जणंति संखोहु णराण भावइ धणुच्चया वम्महभल्लि णावइ ।। वंसत्थ ॥ जिह सा तिह अवराउ वि सारिउ कोलावणे संपत्तिउ णारि। मणहरफुरियाहरणविहूसिय केण वि णियभामिणि संभासिय । तुह रईश विणु सुण्णायारउ चित्तु ण रमइ कहिमि अम्हारउ । एम मुणेविणु म चिराविज वरउजाणजत्त सहलिजउ । केण वि सह ण णीय ते रुट्ठिय पिय तोसिज्जइ माणगरिट्ठिय । एकसि मं छलु लेहि महारउ एयहो जम्महा हउँ तुम्हारउ ।
१२. ५ ख परियणो। ६ ख मयंड उच्छालिय। ७ क रमेबि । ८ ख कठि। ६ घ पइण्ण । १० क माउल्लिय ।
१३. १ ग घ चत्तिया। २ घ संपत्ति सुणारिउ। ३. ख सुहिल्लि । ४. क इय मुणेवि मणु म चिराविजइ घ एम सुणेविणु।