________________
पर्व दिवाळी ओ थयु, आराधो धरी प्रेम; जिन उत्तम पद पद्मने, नमो अहनिश खेम. ५
(85) चरम चोमासुं वीरजी, पावापुरी नयरी; मुनिवर वृंदे आवीया, जित अंतर वयरी. १ देश अढारनां नरपति, वंदे प्रभु पाय; सोळ पहोरनी देशना, दीधी श्री जिनराय. २ पुन्य पाप फळ केरडों, पंचावन भाख्या, छत्रीश अण पूंख्या वळी, अज्झयणां दाख्यां. ३ प्रधान अध्ययन भावतां, पाम्यां प्रभु निर्वाण, कार्तिक अमासने दहाडले, पण अक्षर मान. ४ गणराये दीवा कर्यां, द्रव्य उद्योतने काज, दिवाळी ते दिन थकी, प्रगटी पुन्य समाज. ५ उत्तम गुरु गौतम भणी), उपन्यु केवळ नाण; पद्मविजय कहे मोटको, ओह परम • कल्याण. ६
पूंख्या वकार्तिक अमासने दहा दिन थकी, प्रणय कहे मोट
(86)
सिद्धारथ कुल दिनमणि, वर्धमान वडवीर; त्रिशला सुत सोहामणो, अनंत गुणे गंभीर. १ भगवती सूत्रे गणधरु, पूछे गौतम स्वामी; ओ तुम शासन किहां लगे, वर्तशे जगविश्रामी. २ वीर कहे सुण गोयमा, अकवीश वर्ष हजार; गजगतिनी परे चालशे, पंचम काल मोझार. ३ संख्या दोय हजार चार, होशे युग प्रधान; तेवीश उदये वर्तशे, अकावतारी मान. ४ तेवीश उदयना वर्णवू, वीश तेवीश अट्ठाणुं, अठ्योत्तेर पंचोत्तरा, नेव्याशी शत जाणुं. ५ सत्याशी आठमे उदय, पंचाणुं सत्याशी; छोत्तेर अठ्योत्तेर वळी, चोराणुं गुण राशी. ६ चौदमे अकसो आठ छे, अकसो तीन मुणींद; अकसो सात छे सोळमे, अकसो चार गणींद; ७ अकसो पंदर अढारमे, अकसो तेत्रीश सूरि; वीशमे उदये सो भला, आचारज वडनूर; ८ अकवीश में उदये वली, पंचाणुं सूरि राजा; नवाणुं बावीश में, चालीश चढत दिवाजा. ६ सहु मली दोय हजार चार, युग प्रधान जयवंत; छेल्ला दुप्पसह सूरि, दशवैकालिक वंत. १० पंचावन लख कोड वली, पंचावन सहस कोडी; पांचसो क्रोड पचास क्रोड, शुद्ध आचारज जोडी. ११ ओ सवि आचारज कह्या, दिपविजय कविराज; शुद्ध समकित गुण निर्मला, सोहम कुलनी लाज. १२