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दुःख शमे; मुनिनाथ ने श्री चंद्रद्राह, दिलादित्य उदयकरं कहे. ८ श्री आष्टाह्निक वणिक वंदो, उदयज्ञान आराधी); तमो कंद ने सायकाक्षस्वामि, खेमंत शिवसुख साधीये; निर्वाणी ने रविराज साहिब, प्रथम नाथ परमेश्वरं, कहे. ६ श्री पुरुरवास अवबोध जगगुरु, विक्रमेंद्र वखाणी); श्री सुशांति हरि नंदि केशने, महामृगेंद्र मन आणीओ; अशोक चित्त चित्तमा वसे, अहनीश धर्मेंद्र जयजयकरं, कहे. १० अश्ववृंद कुटीलक वर्धमान, नंदिकेशना गुणघणा; श्री धर्मचंद्र विवेक जगपति, श्री कलापक सोहामणा; विसोम सौम्य कृति जेनी, आरण अंगी सुखकरं, कहे. ११ त्रीस चोवीसी दशक्षेत्रे, कालत्रिक जिन लीजीये, पंच कल्याण त्रीस जिननां, इम दोढसो गुणीजी); जिन भक्ति करतां ध्यान धरतां, कोटी तप फल होइ नरं, कहे. १२ पौषध ने उपवास करीओ, आराधे अकादशी; नरभव तेहनो सफल थाये, परमानंद पद देहसी; गुरुरुपकीर्ति हृदय धरीने, माणेक मुनिवंदो सुखकरं, कहे. १३
(33) शासन नायक जगजयो, वर्धमान जगइश; आतमहितने कारणे, प्रणमुं परम मुनीश. १ षट्पर्वी जेणे वर्णवी, तेहमां अधिकि जेह; अकादशी सम को नहि; आराधो गुण गेह. २ मागशर सुदि अकादशी, आराधो शिववास; कल्याणक नेवु जिनतणां, अकसो ने पचास. ३ महायश सर्वानुभूति, श्रीधर नमी मल्लि अरनाथ; स्वयंप्रभ देवश्रुत उदय, मलीया शिवपुर साथ. ४ अकलंक शुभंकर सप्तनाथ, ब्रमेंद्र गुण गांगीक; सांप्रति मुनि विशिष्ट जिन, पाम्या पुन्यनी टेक. ५ श्रीमृदु व्यक्त कलाशत, आरण योग अयोग; परम शुधार्ति निकेश तेम, पाम्या शिव संयोग. ६ सर्वार्थ हरिभद्र मगधाधिप, प्रयच्छ अक्षोभ मलयसिंह; दिनरुक धनद पौषध तथा, जपतां सफली जिह. ७ प्रलंबचारित्र निधि प्रशमराजित, स्वामि विपरीत प्रासाद; अघटित भ्रमणेंद्र ऋषभचंद्र समर्यां शिव अबाद, ८ दयांत अभिनंदन रलेश ते, श्यामकोष्ट मरुदेव अतिपार्थ; नंदीषेण व्रत धर निर्वाण, तथा थाये शिवसुख वास. ६ सौंदर्य त्रिविक्रम नरसिंह क्षेमंत, संतोषित कामनाथ, मुनिनाथ चंद्रदाह दिलादित्य, मळीयो शिवपुर साथ. १० अष्टाहिक वणिक उदयनाथ, तमो