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शुभ फल पामो अनेक. ५ नेमि कहे केशव सुणो, वरस दिवसमां जोय; मागशिर सुदी अकादशी, ओ समो अवर न कोय. ६ इणदिन कल्याणक थयां, नेवु जिननां सार; ओ तिथि विधि आराधतां, सुव्रत थयो भवपार. ७ ते माटे मोटी तिथि, आराधो मन शुद्ध; अहोरत्त पोसह करो, मनधरी आतम बुद्ध. ८ दोढसो कल्याणक तणुंओ, गणणुं गणो मन रंग; मौन धरी आराधीओ, जिम पामो सुख संग. ६ उजमणुं पण कीजीओ, चित्त धरी उल्लास; पुंठा ने वींटागणां, इत्यादिक करो खास. १० ओम अकादशी भावशू ओ, आराधे नर राय; क्षायिक समकितनो धणी, जिन वंदी घेर जाय. ११ अकादशी भवियण करोओ, उज्वल गुण जिम थाय; क्षमा विजय जस ध्यानथी, शुभ नरपति गुण गाय. १२
(32) विश्वनायक मुक्ति दायक नमि नेमि निरंजनं, हर्ष धरी हरी पूछे प्रभुने, भाखो आतम हितकरं; कुण दिवस ओवो वरस मांहे, अल्प सुकृत बहु फले, कहे नेवु जिननां हुआ कल्याणक, मौन अकादशी सुखकरं. १ केवली महाजस सर्वानुभूति, श्री श्रीधरनाथ ओ, नमी मल्लि श्री अरनाथ स्वामि, साचो शिवपुर साथ; श्री स्वयंप्रभ देव श्रुत अरिहंत, उदयनाथ जिनेश्वरु. कहे. २ अकलंक कर्म कलंक टाळे, शुभंकर समरूं सदा; सप्तनाथ ब्रमेंद्र जिनवर, श्री गुणनाथ नमुं मुदा, गांगिक नाथ श्री सांप्रति, मुनिनाथ विशिष्ट अतिवरं, कहे. ३ श्री मृदुजिनजी जगतवेत्ता, व्यक्त अरिहा वंदी); श्री कलाशत आरण्य ध्याता, सहज कर्म निकंदी); जोग अजोगश्री परम प्रभुजी, सुद्धातिनी केसरं, कहे. ४ श्री सर्वार्थ सकल ज्ञायक, हरिभद्र अरिहंत जे; मगधाधिप जिनेंद्र वंदो, श्री प्रयच्छ गुणवंत ओ, अक्षोभ मल्ल सिंहनाथ दिनरुक, धनद पौषद जयकर, कहे. ५ श्री प्रलंब चारित्र निधि जिन, प्रशम राजित ध्याइ); स्वामी श्री विपरीत देव अहोनिश, प्रसाद प्रेमे गाई; अघटित ज्ञानी ब्रौद्र प्रभु, ऋषभ चंद्र अघहरं, कहे. ६ दयांत दाता जगत केरो, अभिनंदन रत्नेश मे; श्याम कोष्ट मरुदेव नायक, अतिपार्थ विशेष अं; नमो नंदिषेण व्रतधर श्री निर्वाणी दुःख हरं, कहे. ७ सौंदर्यज्ञानी त्रिविक्रम जिन, श्री नरसिंह नमो तुमे; खेमंत संतोषित अरिहा, कामनाथथी