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साधुजी थयासोल हजार, पुष्पचूला प्रमुख साध्वीओ, अडतालीस हजाररे ।। हम० ॥२॥ एकलाखने चौसठ हजार, श्रावकनो परिवार, सुव्रत प्रमुख थया प्रभुजीनो, द्वादशवर्त धारीरे ॥ हम० ॥३॥ त्रणलाखने सहस सतावीश, श्राविका व्रतधार, सुनंदा प्रमुख प्रभुजीने, सेवानी करनाररे । हम० ।।४।। चौद पूर्वी जिनवर नही, नही पण जिनसरीखा, सर्वे अक्षर अबोपेता, जाणेमति विषेसेरे ॥ हम० ॥५॥ चउदशो अवधिनाणी जाणो, दशसो केवलनाणी, अग्यारशो वैक्रियलब्धि धारी, छशे ऋजुमतिनाणीरे ॥ हम० ॥६॥ हजार साधुमोक्षे पहोंच्या, शिववधू वरिया रंगे, बे हजार साधवी पहोंची, शिवरमणीने संगेरे ॥ हम० ॥७॥ साडा सातसे विपुलमतिना, धारक मनअवधारो, छसो वादि पर्षदामांही, वाद करंतां न हारे रे । हम० ॥८॥ बारशे शिष्य प्रभुजी केरां, गयां अनुतर विमाने, बे प्रकारे अंतकृतभुमि, प्रभुजीनी वखाणेरे ॥ हम० ॥६॥ त्रण वर्ष पर्याय प्रभुजीए, मोक्षमार्ग चलायो, चारपाट सुधी तेवो, दिनदिन तेज सवायोरे ॥ हम० ॥१०॥ त्रीश वरस रह्यां घरवासे, त्याशी दिन छद्मस्थे, देशे ऊणा सितेर, जाणो केवलीपर्याय वरतेरे ॥ हम० ॥११॥ प्रथम मास वर्षा प्रभुजीनो, तेत्रीश मुनि संघाते, समेतशिखर गिरिनी उपर, अणशण, करी एकांतेरे ॥ हम० ॥१२॥ एकमास, अणसणपाली, श्रावकसुदी अष्टमीए, विशाखा नक्षत्रे प्रभुजी, पूर्व रात्रीना समयेरे ॥ हम० ॥१३।। पुरा सितेर वरस पाली, श्रमण • तणो पर्याय, एकसो वर्ष- आयुपाली, मोक्षनगरे सिधायारे ॥ हम० ॥१४॥ काउसग्गमांही मुक्तिवाँ, त्रेवीशमां जिनराया, विजयमुक्तिपद वरवाकाजे, कमलविजय मन ध्यायारे ॥ हम० ॥१५॥
(49) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिन स्तवन पास प्रभु शंखेश्वरा, मुज दरिसण वेगे दीजे रे; तुज दरिसण मुज वालहुं जाणुं, अहनिश सेवा कीजे रे०....पा० ॥१॥ रात दिवस सूतां जागतां, मुज हैडे ध्यान तुमारुं रे; जीभ जंपे तुम नामने, तव उल्लसे मनडुं मारु रे०....पा० ॥२॥ दैव दीये जो पांखडी तो, आq तुम हजुर रे; मुज मन केरी वातडी, कांई दुःखडा कीजे दूर रे०....पा० ॥३॥ तुं प्रभु आतम माहरो तुं, प्राण जीवन मुज देव रे; संकट चूरण तुं सदा मुज, महेर करो