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नवि छूटशो, सेवक जन प्रतिपाल....प्राण० (३) निपट कांइ करी रह्यां,
आंखो आडा कान, सेवक जाणी निवाजजो, कीजे आप समान....प्राण० (४) भाग्यवंत हुं जगतमां, नीरख्यो तुम देदार, 'मोहन' कहे कवि रूपनो, जिनजी जगत आधार,....प्राण० (५) (24) पार्श्वनाथ जिन स्तवन (राग : धीरे धीरे आवो बेनी)
द्योजी द्योजी द्योजी, दरिशण द्योजी, श्री शंखेश्वर साहिब दरिसण द्योजी त्रिभुवनना तुमे नायक दरि० में तुम पद पायक दरि० प्रगटे जिम गुण क्षायक दरिसण द्योजी० (१) आशा करीने उमा धरीने, अलगाथी अमे आव्या, महेर करीने दरिशण आपो, तो अमे सवि सुख पाया. दरि० (२) एकण चित्ते शुभ विधि रीते, अविचल प्रिते ध्यातां, गति थिति मति छती तुंही तुंही, इम बहुविधि गुणगाता दरि० (३) लोचन लीले अनुभव शीले, खलक पलक में तारी, तो एवडी शं ढील करो छो, आज अमारी वारी दरि० (४) दरिशणथी दरिशण हुए निर्मल, दर्शन गुण पण आवे, दरिशण मुद्रा एहीज शुद्धि, त्रिकरण तुम गुण गावे दरि० (५) ज्ञानविमल लीलाए स्वामी, वात अमारी जाणो, तुझ आणा अनुसारे साचुं, एह प्रतिति में पामी दरि० (६) ।
(25) पार्श्वनाथ जिन स्तवन (राग - तेरी शहनाइ बोले)
लगनी लागी पारसनाथ, मने करजो सनाथ, चिंतामणी हो... पारसनाथ...मारा पूरा करजो क्रोड, मारी साथे पारस बोल, चिंतामणी हो...पारसनाथ... (१) तारे द्वारे प्रभुजी हुं आव्यो, तारा चरणोमां शीश नमा, तने छोडीने क्यां मारे जाउं, तारा रंगे रंगीला रंगावु, मारा अंतरनी आश, तारा दर्शननी प्यास.... चिंतामणी० (२) मारुं चित्तईं चड्युं चगडोळे, तो ये प्रभुजी माहरा नवि बोले, मारुं हैयुं तो निशदिन झूरे, में तो माथु मूक्युं प्रभु तारे खोळे, आठ पहोर आनंद थाय, सेवक जिन गुण गाय,... चिंतामणी० (३) सेवक दुःखीयारो प्रभुजी पोकारे, तेनी वारे तुं केम न आवे, सेवक रोई रोई दहाडा वितावे, तारो वियोग मुजने सतावे, वात कोने कहुं, क्यां जईने रहुं....चिंतामणी० (४) वामानंदन अवधारो, अश्वसेन