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एम कहेता पीउजी पाछा चालीयाजी, । राजुलने पाणीना पच्चक्खाणजो, नेमजी० ||१|| पालव झालीने उभी रहीजी, श्यो साहीबजी अमारो दोषजो, आठ भवनी नारी केम तजोजी, नवमे ना करीए वालम रीसजो, नेमजी०||२|| यादवराव जानो लाव्योजी, रात्रे श्री राजीमति परणावजो, छेल छबीली नारी केम तजोजी, समज्या विण केम पाछा जाशोजी नेमजी०||३|| माता शिवादेवीना लाडला जी नेमजी कांई यादव कुलना शणगारजो, पशुडा देखी पाछा वव्यांजी, नेमजी कांई दयाना भंडारजो नेमजी०||४|| सरखी साहेली जाशे सासरेजी, सासरीये कांई सुख वासजो, जईने सासुने पाय लागशोजी, ससरो कांई पूरे मननी आशजो, नेमजी०||५|| आडाने अवळा उभा डुंगराजी, वचमां कांई पूरे मननी आशजो, नेमजी०|| ६ || गाजे वाजेने झबुके विजळीजी, झरमर वरशे झीणा मेघजो, आसुंडे भींजाय राजुलनो कंचुवोजी, हैये भींजाय नवशेरो हारजी नेमजी० ||७|| सहेसावन जइ संयम आदर्योजी, पांचमी टुंके कर्तुं अणशण जो, हीरविजय गुरू हिरलो जी कान्ति नमे करजोड जो, नेमजी०||८||
(2) श्री नेमनाथ जिन स्तवन
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हुंकरगरी कहुं छु, करगरी कहुं हुं प्रभुजी पाछा वलोने ? प्रभु वचन अमारूं मान्य तुमे तो करोने ? में निति न छोडी, तुमशुं जरा नवि चुक़ी; तोडी अष्ट भवोनी प्रिति कुंवारी मुकी ॥१॥ बहु ठाठ बनावी बेसी, गीत गवरावी, तोरणथी पाछा फरीने लाज गुमावी ॥२॥ एवं करवुं हतुं तो नेम शीदने आव्या, रूडी जान सजावी, साथे यादव लाव्यां ||३|| एवं कर हतुं तो, शीदने परण्या मोरारी, तुम भाई वर्या छे, सहस बत्रीशनारी, 11811 शुं तुम कुल एवो धारो कन्या रखडावो, परणी पोताने घेर फरी नहि लावो, ||५|| मने उत्कंठा हती जईश, श्वसूर भवनमां, मारा मननी वातो रहि गई सौ मनमां, ॥६॥ माटे चानक लावी, आवी जरूर वरजो, प्रभु वचन अमारूं मान्य तुमे तो करजो, ॥७॥ हुं आवुं तमारी साथ, प्रभु गिरनारे, मने आपो अक्षय सार, उतारो भवपारे ॥८॥ हुं जोडीने बे हाथ कहुं हुं दासी, मने लई जाओने साथ करोने उल्लासी ॥६॥ हुं जोडीने बेहुं हाथ कहुं हुं स्वामी, कहुं यशोविजयजी तारो अंतर पामी - हुं करगरी कहुं छु, ||१०||