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मारे भवमा भमतां सार । सेवा पामी ताहरी जीरेजी, 19। जीरे मारे मार्नु सार हुं तेह, हरिहर दीठा लोयणे जीरेजी,। जीरे मारे दिठे लाग्यो रंग, तुम उपर एके मने जीरेजी ।२। जीरे मारे जिम पंथी मन धाम, सीतानुं मन रामशुं जीरेजी। जीरे मारे विषयीने मन काम, लोभी- चित्त दामÓ जीरेजी ।३। जीरे मारे एहवो प्रभुशुं रंग, ते तो तुम कृपा थकी जीरेजी। जीरे मारे निर्वेद अत्यंत, नित्ये ज्ञान दशा थकी जीरेजी।४। जीरे मारे शांति करो शांतिनाथ, शांति तणो अरथी सही जीरेजी। जीरे मारे ऋद्धि कीर्ति तुम पास, अमृतपद आपो वही जीरेजी । ५ |
(25) श्री शान्ति जिन स्तवन (राग : बेना...रे) ___ प्रभुजी रे...... शांति जिणंद सुखकारी घट अंतर करुणा धारी (२) विश्वसेन अचीराजीको नंदन, कर्म कलंक निवारी, अलख अगोचर अजर अमरतुं, मृग लंछन पदधारी, घ० १. कंचनवर्ण शिला तनुं सुंदर, मुरती मोहनगारी, पंचमो चक्री सोलमो जिनवर, रोग शोक भय वारी घ० २. पारेवो प्रभु शरण ग्रहीने, अभयदान दियो भारी, हम प्रभु शांती जिनेश्वर नामे, ले| शिव पटराणी घ० ३. शांति जिनेश्वर साहिबा मेरा, शरण लियो में तेरा, कृपा करी मुज टाळो साहिब, जन्म मरणना फेरा घ० ४. तन मन स्थिर करी तुम ध्याने, अंतर मेल ते वागे, विरविजय कहे तुम सेवनथी, आतम आनंद पावे घ० ५
(26) श्री शान्ति जिन स्तवन (राग : मणियारो ते)
शांतिनाथ सोहामणो रे, सोळमो ए जिनराय, शांति करो भव चक्रने रे, चक्रधर कहेवाय रे, मुनिवर तुं जग जीवन सार, मुनि० १ भवोदधि मथतो में लह्यो रे, अमुलख रत्न उदार रे, लक्ष्मी पामी सायर मथी रे, जिम हर्षे मुरार रे, मुनि० २ रजनी अटतां थकां रे, पूर्ण-मासे पूर्ण चंद रे, तिम मे साहिब पामीओ रे, भवमां नयणानंद रे० मुनि० ३ भोजन करतां अनुदिने रे, बहु लहे घृतपुर, तिम मुजने तुहि मिल्यो रे, आतमरूप मुनि० ४ दरिद्रता रीसे जळी रे, नाशी गई पाताळ, रे शेषनाग काळो थई रे, भू-भार उपाडे बाळ रे, मुनि० ५ योगीसर जोया थकां रे, समरे योग सुजाण