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एक मात्र प्रभु भक्तिनां माध्यम थी आराधनानां मार्गे जोडवानी हितबुद्धिथी त्रण पुस्तक श्री श्रुतराज रसथाळ,-रसाधिराज, अने रसधार, नुं अथाग परिश्रम लई पूर्वाचार्य रचित श्री चैत्यवंदन-स्तुति-स्तवन-सज्झाय पर्वतिथि ढाळ-पर्युषण-नवपदजी प्रतिक्रमण-नवस्मरण ज्योतिष आदि अनेक विविध विषयो- हिन्दी लीपीमां संकलन करी उपकार गुणने विकस्वर बनाववानो। __ नम्र प्रयास पू० गुरुवर्यादिनी कृपाथी प्राप्त कर्यो छे तेओ श्री एवा अनेक गुण गरिमांथी युक्त अमारा पू० गुरुदेवश्री दीर्घ सुदीर्घ संयमपर्याय युक्त दीर्घायुस्वान् बनो. तेओश्रीना वरदहस्ते अनेक शासन प्रभावनावाळा कार्यो थता रहो. अने आप जेवी आचार संपन्नतानी ज्योत अम अंतरमां प्रगटे अने आपणा सहुना शिरछत्र सूरिदेव तिर्थंकरसम पू० अध्यात्मयोगि आ० दे० कलापूर्ण सू० म० सानी अने आपनी निश्रामां संयमनी साधना हरभवमां करी आपश्री अने आपनी कृपाथी अमे महाविदेह क्षेत्रमा त्रिलोकपति दादा श्री सिमंधर स्वामीनी सानिध्यमां निरतिचार संयमनुं पालन करी कैवल्य प्राप्त करी शिवसुंदरीने शिघ्रातिशीघ्र वरीये एवी आजनी-आपनी सुवर्ण संयम शताब्दिनां आरे उभेला आप गुरुदेवश्री पासे आपनी ज
शिष्या प्रशिष्याओनी अंतर भावना शुभेच्छा
ली० आपनी ज शिष्या प्रशिष्याओ
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