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245 आछेलाल, पाम्यो हवे हुँ पटंतरोजी।५। तें तार्या केई कोड, तो मुजथी शी होड, आछेलाल, में एवडुं शुं अलेहणुंजी | मुज अरदास अनंत, भवनी छे भगवंत आछेलाल, जाणने शुं कहेवू घjजी।६। सेवा फल द्यो आज, भोळवो कां महाराज, आछेलाल, भुख न भांगे भामणेजी। रूप विबुध सुपसाय, मोहन ए जिनराय, आछेलाल, भूख्यो उमाहे घणोजी ।७।
(8) अभिनंदन जिन स्तवन दीठी हो प्रभु दीठी जगगुरू तुज, मूरति हो प्रभु मूरति मोहन वेलडीजी,। मीठी हो प्रभु, मीठी ताहरी वाणी, लागे हो प्रभु लागे जेसी शेलडीजी । १। जाणुं हो प्रभु जाणुं जन्म कयत्थ, जो हुं हो प्रभु जो हुं तुम साथे मिल्योजी। सुरमणि हो प्रभु सुरमणि पाम्यो हत्थ। आंगणे हो प्रभु, आंगणे मुज सुरतरू फळ्योजी,।२। जाग्यां हो प्रभु, जाग्यां पुण्य अंकुर, मांग्यां हो प्रभु मुह मांग्या पासा ढळ्यांजी। वुठा हो प्रभु, वुठा अमी रस मेह, नाठा हो प्रभु, नाठा अशुभ दिन वळ्याजी।३। भूख्या हो प्रभु, भूख्या मिल्यां घृतपूर, तरस्यां हो प्रभु, तरस्यां दिव्य उदक मिल्यांजी। थाक्यां हो प्रभु, थाक्यां मिल्यां सुखपाल, चाहतां हो प्रभु, चाहतां सज्जन हेले हल्यांजी।४। दीवो हो प्रभु, दीवो निशा वन गेह, शाखी हो प्रभु, शाखी थले जल नौ मिलीजी,। कलियुगे हो प्रभु, कलियुगे दुल्लहो तुज, दरिशण हो प्रभु, दरिशण लघु आशा फळीजी । ५ । वाचक हो प्रभु, वाचक जस तुम दास, विनवे हो प्रभु विनवे अभिनंदन सुणोजी, । कइयें हो प्रभु, कइयें म देशो छेह, देजो हो प्रभु देजो सुख दरिशन तणुंजी,।६। (9) अभिनंदन जिन स्तवन (राग : श्री सुपार्थजिन साहिबा)
अभिनंदन अरिहंतजी अवधारो हो सेवक अरदास के, दास जाणी मुज दीजीये, मनवांछित हो सुख लीलविलास के. अ० १ पूरव पून्ये पामीयो, सुखकार हो जगतारण देव के. सेवक जाणी साहिबा, हवे सफळी हो कीजे मुज सेव के. अ० २ सेवक जननी सेवना, प्रभु जाणो हो मन न आणो केम के, बूझो पण रीझो नहि, एकांगी हो किम होये प्रेम के. अ० ३