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(133) श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति कल्याणकारक, दुःखवारक, सकल सुखावासए, संसारतारक, मानकारक, श्री शंखेश्वर पार्थ ए,। अश्वसेन नंदन, भवियवंदन, विश्ववंदन देव ए। भवभीतभंजन, कमठ गंजन, नमीजे नित्यमेव ए,....१ त्रैलोक्यदीपक, मोहजीपक, शीवसरोवर हंस ए। मुनिध्यान मंडन, दुरितखंडन, भुवनशिर अवतंसए, + द्रव्यभाव स्थापननामभेदे, जस निक्षेपा चारए, ते देवदेवा, मुक्ति लेवा, नमो नित्य सुखकार ए....२ गुणपर्याय नयगम, भेदविशद वखाणीये । संसार पारावार तरणी, कुमति कंद कृपाणीए । मिथ्यात्व भुधर शिखर भेदन, व्रजसम जेह जाणीए । अति भक्ति आणी, भविप्राणी, सुणो ते जिनवाणीए....३ जसवदन शारद, चंदसुंदर, सुधासदन विशालए । निष्कलंक सकल, कलंक तमहर, अंग अति सुकुमाल ए | पद्मावती सा भगवती सती, विघ्न हरण सुजाणीए | श्री संघने कल्याणकारीणी, हंस कहे हित आणीए....४
(134) श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति सुरपति चउसठ पाय सेवित, कुमति पक्ष विखंडनं, मिथ्यात्व वारक तरण तारक, भविक कमल सुमंडनं, सुख शांति समता रसे रमता, जगति जग जय कारणं, जित मोह मल्ल विहल्ल मन्मथ, पार्थजिन जगतारणं, १ जिन जन्म, महोत्सव, हरख अपच्छर, करती नाटक किन्नरी, उच्छव रंग बहुविध अश्वसेन, माता वामा उरधरी, शुभ रयणी वरते जोग चंद्र, सुपोष वद दशमी भयो, मद कमठ भंजक जन सुवेच्छक, पार्श्व अतिशय ते जयो, २ नय गहन गर्भित, ध्वनि सुगर्जित, चउ निक्षेपा धारीतं, पात्रीश गुण द्युत पियुष वाणी, देशना हित कारितं, स्वाद्वाद रंगी, सप्त भंगी, तत्व रूचि धन गण धरी, गुण दया जीव कृपालु वाणी, पार्श्व चउमुख उच्चरी, ३ शिवशांती कर्ता मोक्ष दाता, कर्म हरता सुखकरं, संसार तारण कुमती वारण, शांतीजिन सुविहित करं, गुणधार सूरीवर विजय राजेन्द्र तीर्थ जंगम जय करं, चउवीश जिन प्रमोद रूचिकर, भक्ति कर शीव सुखकरं, ४