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मार निवार तो, गजपुर विश्वसेन राजीयो ओ, तिर्थंकर अवतार तो. १ चउद सुपन माता लहे ओ, चौदलोक अधीश तो, जेठशद तेरसने दिने ओ, जन्म्या श्रीजगदीश तो; छप्पनकुमरी लाड लडाव्या ओ, चोसठ इन्द्र बहु कोड तो, मेरूशिखर पांडुकशिला ओ, नमण करे होडाहोड तो. २ शान्तिनाथ सुहामणुं ओ, नाम सुणी सहु हरखंत तो, चक्रीपद सुख भोगवी ओ, संवच्छरीदान वरखंत तो; जेष्ठवदि चउदसने दिने ओ, दिक्षा लहण अधिकार तो, पोषशुद नवमी केवल लह्यो ओ, भविजनने हितकार तो. ३ वैशाख वदि तेरसे लह्यो हे, समेतशिखर सिद्धशीश तो, कल्याणक पंच पेखजो ओ, निरंजन विसवावीस तो; गरुडयक्ष कंदर्पासुरी मे, जिनशासन रखवाल तो, सुखपाटे रत्नगुरु राजवी ओ, विनितविजय भणे बाल तो. ४
(74) श्री शान्तिनाथ जिन स्तुति शान्तिकरण श्रीशान्तिजिनेसर, सोलमा जिनवर रायाजी, विश्वसेन अचिरासुत सुंदर, सुरकुमरी गुण गाया जी; मृगलंछन प्रणमे सुरराया, कंचनवरणी काया जी, विविध प्रकारे पूजा रचंता, मनवांछित फल पाया जी. १ ऋषभ अजित संभव अभिनंदन, सुमति पद्मप्रभ देवो जी, सुपास चंद्रप्रभ सुविधि शीतल, श्रेयांस वासुपूज्य सेवो जी; विमल अनंत धर्म शान्तिसर, कुन्थु अर मन आणुं जी, मल्लि मुनिसुव्रत नमि नेमि, पास वीर वखाणुं जी. २ समोसरण सिंहासन बेठा, छत्रत्रय शिर सोहे जी, योजनवाणी वखाण करंता, रूपे त्रिभुवन मोहे जी; सरस सुधारसथी अति मीठी, श्रीजिनवरनी वाणी जी, श्रवणे सुणतां भावे भणतां, लहीओ शिवपदराणी जी. ३ पाये नेउर रमझम करती, घुघरडी वाचाली जी, पंचानन जीत्यो कटि लंकई, चाले राजमराली जी; शान्तिनाथ चरणाबुज सेवी, निर्वाणी मनोहारी जी, विबुधशिरोमणी मुक्तिविजय शिष्य, रामविजय जयकारी जी. ४
(75) श्री शान्तिनाथ जिन स्तुति जिनपति जयकारी, पंचमो चक्रधारी त्रिभुवन सुखकारी, सप्त भय इति वारी सहस चउसठ नारी, चौद रत्नाधिकारी जिन शांति जीतारी, मोह हस्ति मृगारी १. शुभ केशर घोली, मांहे कर्पूर चोली, पहेरी शीत पटोली, वासीये?