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गंगेव जनस्य पंकमखिलं, पूता हरत्यंजसा, भारत्याङङगमसङ्गता नयतता, मायाचिता साङधुना; अध्येतुं गुरुसन्निधौ मतिमता, कर्तु सता जन्मभी, भारत्यागमसंगता न यतता,माङडयाचिता साधुना; ३ व्योम स्फारविमानतूरनिनदैः, श्रीनेमिभक्तं जनं, प्रत्यक्षामरसाल-पादपरता वाचालयन्ती हितम्; दद्यान्नित्यमिताङङमुलुम्बिलतिका, विभ्राजि-हस्ताङहितं, प्रत्यक्षामरसालपादपरताङ,म्बा चालयन्तीहितम्. ४ ...
(52) पांचमनी स्तुति श्रावण सुदि दिन पंचमी ओ, जन्म्या नेमि जिणंद तो, श्यामवरण तनु शोभतुं ओ, मुख शारदको चंद तो; सहस वरस प्रभु आउखुं ओ, ब्रह्मचारी भगवंत तो, अष्ट करम हेला हणी ओ, पहोता मुक्ति महंत तो. १ अष्टापदपर आदिजिन ओ, पहोता मुक्ति मोझार तो, वासुपूज्य चंपापुरीओ, नेम मुक्ति गिरनार तो; पावापुरी नगरीमां वळी अ, श्रीवीरतणुं निर्वाण तो, समेतशिखर वीश सिद्ध हुआ ओ, शिर वहुं तेहनी आण तो. २ नेमनाथ ज्ञानी हुवा ओ, भाखे सार वचन तो, जीवदया गुणवेलडी मे, कीजे तास जतन तो, मृषा न बोलो मानवी अ, चोरी चित्त निवार तो, अनंत तीर्थंकर ओम कहे ओ, परिहरिओ पर नार तो. ३ गोमेध नामे यक्ष भलो ओ, देवी श्री अंबिका नाम तो; शासन-सानिध्य जे करे अ, करे वळी धर्मना काम तो; तपगच्छनायक गुणनीलो ओ, श्री विजयसेनसूरिराय तो, ऋषभदासपाय सेवतां अ, सफळ करो अवतार तो. ४
(53) पांचमनी स्तुति ____तीर्थंकर श्री वीर जिणंदा, सिद्धारथ कुलकमल दिणंदा, त्रिशला राणी नंदा; कहे ज्ञान पंचमिदिन सुखकंदा, मति श्रुतावरणी मटे भव फंदा, अन्नाण कुंभी मंडा; दुग चउ भेद अठ्ठावीश वृदां, समकित तिथि उल्लासे आनंदा, छेदे दुरमति दंदा; चउदह भेदे धारो श्रुत चंदा, ज्ञानी दोयना पद अरविंदा, पूजो भाव अमंदा. १ अवतरिया सवि जगदाधार, अवधिनाण सहित निरधार, पामे परम करार, मागशिर शुदि पंचमि दिन सार, श्रावण शुदि पंचमी विस्तार, वो जय जयकार; त्रीजा ज्ञान दर्शन भंडार, देखे प्रगट