________________
73
सिद्धाचल सिद्धा, साधु अनंती क्रोड, आगम अनुसारे, वांदु बे कर जोड, रवि मंडल सरिखां, काने कुंडल दोय, सुख संपति कारक, विधन निवारक सोय, चक्केसरी देवी, चक्रतणी धरनारी, सेवक साधारी, उदयरत्न जयकारी, ४
(22) श्री शत्रुजय स्तुति प्रणमो भविया रिसहजिनेसर, शत्रुजयकेरो राय जी, वृषभ लंछन जस चरणे सोहे, सोवनवरणी काय जी; भरतादिक शत पुत्र तणो जे, जनक अयोध्या राय जी, चैत्री पूनमने दिने जेहना, महोटा महोत्सव थाय जी. १ अष्टापद गिरि शिवपद पाम्या, श्री रिसहेसर स्वामी जी, चंपाये वासुपूज्य नरेसर, नंदन शिवगतिगामी जी; वीर अपापापुर गिरनारे, सिध्यां नेमी जिणंदो जी, वीश समेतगिरिशिखरे पहोंता, ओम चोवीशे वंदो जी. २ आगम नोआगम परे जाणो, सवि विषनो करे नाशो जी, पापताप विष दूर करवा, निशदिन जेह उपासो जी; ममता कंचुकी कीजे अलगी, निर्विषता आदरीओ जी, इणी परे सहजथकी भव तरीये, जिम शिवसुंदरी वरीये जी. ३ कवडजक्ष प्रत्यक्ष थइने, जेहवा परचा पूरे जी, दोहग दुर्गति दुर्जननो डर, संकट सघळां चूरे जी; दिन दिन दोलत दीपे अधिकी, ज्ञानविमल गुण नूर जी, जीत तणां निशान वजावो, बोधिबीज भरपूर जी. ४
(23) श्री शQजय स्तुति सकल मंगल लीला मुनि ध्यान, परभव घृत, दीधुं दान, भविजन ओक प्रधान, मरूदेवाओ जन्मज दीधो, इन्द्रे सेलडी रस आगल कीधो, वंश इख्खाग ते सीधो; सुनंदा सुमंगला राणी, पूरव प्रीत भली पटराणी, परणावे इन्द्र इन्द्राणी, सुख विलसे रस अमीरस गूंजे, पूरव नव्वाणुं वार शेजे, प्रभु जइ पगले पूजे. १ आदि नहि अंतर कोय अहनो, केम वर्णवीजे सखी गुण अनो, मोटो महिमा तेनो, अनंत तीर्थंकर इण गिरि आवे, विहरमान व्याख्यान सुणावे, दिलभरी दिल समजावे; सकलं तीर्थ- ओहि ज ठाम, सर्वे धर्मर्नु अहि ज धाम, ओ मुज आतमराम, रे रे मूरख मन शुं मुंझे, पूजीओ देव घणां शेजे, ज्ञाननी सुखडी गूंजे. २ सोवन डुंगर टुंक रूपानी, अनुपम माणेक टुंक