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निवारो, जनने तारण हारोजी । राय श्रेयांसकुल नगीनो, मात सत्यकी नंदोजी । रुक्मिणी कंत विराजित सोहे, भयभंजन भगवंतोजी... १ त्रिजगधारण युगल निवारण, समकितदाई सारोजी । मिथ्यात्व वन तिमिर निवारण, धर्मरूप दातारोजी । उपशम रस ध्याननो दरियो, गांजे गुहिर गंभीरोजी । प्रवचनसार सुधारस वरसे, उपशम निरमल नीरोजी... २ श्री सीमंधर साहिब दिसे, अभिनव आगम दरीयो जी । उद्योत शशी सुर समा गुण, मिथ्यात्व सवि हरीयोजी । क्रोध लोभ अरू माया केरो, ताप हरे सवि दुरोजी । केवलज्ञान सुरज ज्युं ओपे, भविजनने आधारोजी.... ३ पाये नेउर रूमझुम करती, कंठे नवसेरो हारजी | करकंकणवर चुंदडी विराजे, बाजुबंध सफारोजी । काने कुंडल शीर मुगट मनोहर, सजी सोळ शणगारोजी । शासनदेवी विघ्न निवारण, पद्मविजय जय कारोजी...४
(6) श्री सीमंधर जिन स्तुति जंबुद्विप विदेहमां विचरे, सीमंधर जिन भाणजी । सोवनवान ऋषभ लंछन तनु, पांचसे धनुष प्रमाणजी । घातिकर्म क्षये प्रभु पाम्यां, केवल दंसण नाणजी | लोकालोक प्रकाशक वंदूं, नित नित हुं सुवीहाणुंजी....१ जंबुद्विपमां चार' जिनेश्वर, धातकी खंडे आठजी । पुष्करार्धमा आठ जधन्यथी, वीशतणा बहु पाठजी, उत्कृष्टा सीत्तेर सो वंदो, धर्म तणा जिहां ठाठजी | प्रातः समय परमेश्वर प्रणमो, कर्म खपावो आठजी....२ त्रिगडे बेसी गणधर स्थापे, चउविघ संघ उदारजी । धर्म प्रकाशे चउमुख चउविध, सुणती पर्षदा बारजी | पंचवर्णा शुक्र अनियत आवश्यक, तीमवळी महाव्रत चारजी । इणी अर्थे द्वादशांगी मनोहर, हुं वंदु श्रीकारजी....३ धन्य ते देव जे समकितधारी, सीमंधर जिनराजजी | वंदे पापनिकंदे भविनां, सुणे देशनां नीरमायजी । ते सुर हितकर थई जिन उत्तम, मेलो मुने आयजी । पद्मविजय कहे इणीपरे मुजने, वहेलुं शीवसुख थायजी....४
(7) श्री सीमंधर जिन स्तुति श्री सीमंधर मुजनेवाला, आज सफल सुविहाणुंजी । त्रिगडे तेजे तपता जिनवर, मुज तुंठा हुँ जाणुंजी । केवल कमला केलि करता,