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जगत निराशे जी, उदय पेढाल जिनांतरमा प्रभु, जाशे शिववहु पासे जी, १ बत्रीश चउसठि चउसठि मळीया, इगसयसट्ठि उक्किट्ठा जी, चउ अड अड मळी मध्यम काळे, वीश जिनेश्वर दिठ्ठा जी, दो चउ चार जधन्य दश जंबु, धाययी पुष्कर मोझारो जी, पूजो प्रणमो आचारांगे, प्रवचन सार उद्धारोजी ।२। सीमंधर वर केवळ पामी, जिनपद खवण निमित्ते जी, अर्थनी देशना वस्तु निवेशना, देतां सुणत विनीते जी, द्वादश अंग पूरवयुत रचिया, गणधर लब्धि विकसिया जी, अपज्जवसिय जिनागम वंदो, अक्षयपदना रसिया जी, ३ आणारंगी समकितसंगी, विविध भंगी व्रतधारी जी, चउविह संघ तीरथ रखवाळी, सहु उपद्रव हरनारी जी, पंचांगुलीसुरी शासनदेवी, देती जस तस ऋद्धि जी, श्री शुभवीर कहे शिवसाधन, कार्य सकळमां सिद्धि जी ।४।
(4) श्री सीमंधर जिन स्तुति श्री सिमंधर युगमंधरस्वामि, बाहु सुबाहु ते जाणोजी, सुजात ने स्वयंप्रभ ऋषभानन, अनंतवीर्य वखाणोजी । वंदु सुरप्रभ विशाल वज्रधर, चंद्रानन चंद्रबाहुजी । भुजंग ईश्वर नमिप्रभ वीरसेन, महाभद्र देवयश प्राहुजी...१ अजीतवीर्य ए वीश जिणंदा, महाविदेह विचरंताजी । केई कुमरपद केई नृप पदवी, केई जिनेश महंताजी । अढी द्विपमां पंच विदेहे, विहरमान जिन वीशोजी । भाव धरीने नित प्रणमंता, पहोंचे मनह जगीशोजी....२ दान शियल तप भाव अहिंसा, ए जिन आगम सारजी . प्रवचनमां एह जिनवरे भाख्यो, ते पाळो निरधारजी । अमीय समाणी श्री जिनवाणी, गुंथी गणधर जाणीजी । ते आगम भविजन आराधो, भाव अधिक मन आणीजी....३ समकित धारी सानिध्यकारी, देवदेवी सुखकारीजी । जिनशासन अधिष्ठायक सुरवर, संघ सकल हितकारीजी । पंचागुली देवी जिनसेवी, निज सेवकने सहायजी | श्री कपूर विजय सद्गुरुसुपसाये, मानविजय गुण गायजी...४ ।
(5) श्री सीमंधर जिन स्तुति श्री सीमंधर साहिब मेरा, विनतडी अवधारोजी । नरक निगोदनी भीति