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अन्तराल में भटकती आत्माएँ
[८१ होता है । दुनिया के महानतम ग्रन्थ ऐसी ही स्थिति में प्रकट हुए ज्ञान के आधार पर निर्मित हुए हैं इसलिए इनको अयोरुषेय कहा जाता है। __ ऐसे ही ज्ञान को ईश्वरीय ज्ञान कहते हैं जो व्यक्ति के माध्यम से ही उतरता है। इसी को ईश्वरीय कृपा, ईश्वरीय ज्ञान, अतीन्द्रिय ज्ञान कुछ भी कहा जा सकता है। सामान्य सामान्य बुद्धि इतना कार्य नहीं कर सकती।
(य) जीवात्माएँ सहायता भी करती हैं
अन्तराल की ये जीवात्माएँ भूलोक वासियों की कई प्रकार से सहायता भी करती हैं। मनुष्य जो भी अच्छे बुरे कार्य करता है उसके पीछे इन जीवात्माओं का भी हाथ होता है। वह अकेला कोई भी श्रेष्ठ या निकृष्ट कर्म नहीं कर सकता क्योंकि उसकी शक्ति व ज्ञान सीमित होता है।
सन् १९६५ में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय एक सैनिक टुकड़ी जम्मू कश्मीर की पहाड़ियों में रात को रास्ता भूल गई थी। उसे अग्रिम चौकी पर पहुंचना था । उस समय एक लेफ्टीनेण्ट की आत्मा ने उसको मार्ग बताया जो एक दिन पूर्व ही पीठ पीछे गोली लगने से मर गया था तथा उसका दाह संस्कार भी कर दिया गया था। ऐसा उसने खुद ने ही बताया। चौकी परं पहुंचाकर वह गायब हो गया । यह उसका सूक्ष्म शरीर ही था। उसकी पीठ पर गोली का निशान था।
स्थूल शरीर के घाव सूक्ष्म शरीर पर रहते हैं जैसे जीसस पुनर्जीवित हुए तो उनके हाथों में भी कीलों के निशान थे। यह उनका सूक्ष्म शरीर ही था। ..