________________
८०]
मृत्यु और परलोक यात्रा देवात्मा के प्रवेश के बाद वह व्यक्ति अनुभव करता है कि मेरे भीतर कोई दूसरा ही बोल रहा है। मोहम्मद साहब को भी ऐसा ही अनुभव हुआ कि मेरे भीतर कोई दूसरा ही बोल रहा है । मोहम्मद साहब पढ़े लिखे न थे। किसी दिव्य आत्मा ने उनमें प्रवेश करके उनसे कुरान लिखवाई।
हजरत मूसा, विवेकानन्द आदि को भी ऐसा ही अनुभव हुआ। ये जीवात्माएँ अपने लोकों की सूचना भी देती हैं कि वे वहाँ कैसे रहती है ? जिससे मनुष्य को उसकी जानकारी मिलती है । परलोक के बारे में मनुष्य के पास जो भी जानकारी है वह काल्पनिक या मनगढन्त नहीं है अपितु ऐसी ही आत्माओं द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर संग्रहीत की गई तथ्य पूर्ण सूचनाएँ हैं।
(द) ध्यान द्वारा ज्ञान
ध्यान के द्वारा भी मनुष्य परलोक की इन आत्माओं से सम्पर्क कर सकता है। ध्यान द्वारा जब मन की गतियाँ शान्त हो जाती हैं तो भीतर चेतना अपने पूर्ण ज्ञान के साथ प्रकट होती है। उस समय उसका अहंकार नष्ट हो जाता है जिससे वह उस दिव्य चेतना का ग्राहक बन जाता है। उस समय उसमें अतीन्द्रिय क्षमता एवं ज्ञान प्राप्त हो जाता है। __ऐसे ज्ञान को ही “अयोरुषेय" कहा जाता है क्योंकि वह स्वयं का नहीं होता । ऐसी स्थिति गहरे ध्यान में उपलब्ध होती है । इस अतिन्द्रिय शक्ति से वह महानतम कार्य करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है तथा उससे उच्चकोटि का ज्ञान प्रकट