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किया है। इसमें कवि बताता है कि जवानी बुढ़ापेके लिए बनाई जाती है और बुढ़ापा मृत्यु के लिए । कतिपय अंशोंको अवलोकिए ।
'Grow old along with me! The best is yet to
be,
The last of life, for which, the first was made.
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Let us cry 'All good things
' Are ours, nor soul helps flesh more, now, than flesh helps soul.
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Therefore I summon age, To grant youth's heritage,
Let age approve of youth, and death complete the same.'
किन्हीं अंशो तक इसके भावसाम्यमें आप प्रस्तुत 'मृत्यु महोत्सव' का १६ बाँ श्लोक ले सकते हैं जिसमें बताया गया कि पूर्वके सचेष्ट जीवनमें स्वाध्याय आदिके कर्म मृत्युकाल में फलदा होते हैं, इसीप्रकार ब्राउनिंग की वाणीमें तरुणाईका महत्व ही बुढ़ापे और बुढ़ापेका मरा के लिए है ।
मृत्यु सर्वत्र है। इसी बातको अँग्रेजी कवि शैली भी लिखता है।
'Death is here and death is there, Death is busy every where All around, within, beneath, Above is death and we are death. ' यथार्थमें जब मरण सब समयोंमें, सब देशोंमें सबके लिए है तो इस विषय की यह रचना 'मृत्युमहोत्सव' भी सर्वकालीन सर्वदेशीय और सर्वोपयोगी है। निश्चय ही ऐसी सर्वतोन्मुखीन रचनाको लिखने
लाचार्य धन्य है । लेकिन हमें खेद है कि अभीतक हम इस रचना के मूल प्रणेताका ठीक-ठीक पता न लगा सके । वस्तुतः हमारे पूर्ववर्ती संस्कृतके आदर्शाचार्य अपना ख्यापन नहीं चाहते थे। ऐसी दशामें वे अपना नाम लेख भी न करते थे ।
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( ई )