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________________ मरवाकर भी पत्नी को बचाया। क्यों ? क्योंकि नवागत पुत्र से भी अधिक राग पत्नी पर है। सेठ अमीचन्द पहली मंजिल के मकान में रहते हैं। रविवार का दिन था पत्नी रसोड़े में बैठकर रसाई बना रही थी। अचानक उस भवन में आग लग गई। आवाज सुनकर सेठ भी गैलेरी में आए...चारों मोर हाहाकार मचा हुआ था। लोगों ने सेठजी को पुकारा, सेठजी ! कूद पड़ो... बच जानोगे अन्यथा मर जाओगे।' मृत्यु के भय को नजर समक्ष देखकर सेठजी तुरन्त ही कूद पड़े"उन्होंने पत्नी की भी उपेक्षा कर दी। पत्नी पर प्रेम जरूर था, फिर भी अपनी मौत को देखकर वे पत्नी को भूल गए, ऐसा क्यों ? क्योंकि पत्नी से भी अधिक राग स्व-देह पर था। ___इससे स्पष्ट है कि सामान्यतः जनमानस के हृदय में भोजन धन-पुत्र-पत्नी और स्वदेह पर क्रमशः अधिक-अधिक राग होता है और उत्तर-उत्तर वस्तु को बचाने के लिए वह पूर्व-पूर्व वस्तु का त्याग भी कर देता है। सबसे अधिक राग देह पर है। अनादिकाल से प्रात्मा बहिरात्म दशा में रही हुई है। बहिरात्म दशा का लक्षण है-'प्रात्मबुद्धिः शरीरे।' देह में प्रात्मबुद्धि यही बहिरात्म दशा का लक्षण है । मृत्यु की मंगल यात्रा-51
SR No.032173
Book TitleMrutyu Ki Mangal Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1988
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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