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________________ पूर्वक मृत्यु का स्वागत करती हैं। समता और समाधि के द्वारा वे अपनी मृत्यु को भी महोत्सव रूप बना देती हैं। महापुरुषों की विदाई भले ही जगत् के लिए शोक का कारण बने, परन्तु वह मृत्यु उनके लिए तो महोत्सव रूप ही होती है। ____समाधि-मृत्यु के द्वारा वे अमरता की ओर कदम बढ़ाते हैं । महापुरुषों के लिए, जिस प्रकार उनका जीवन उनके उत्थान का कारण बनता है, उसी प्रकार मृत्यु भी उनके विकास में ही सहायक होती है। इसीलिए तो कहता हूँ-'जिस प्रकार महापुरुषों का जीवन, आदर्श रूप होता है, उसी प्रकार उनकी मृत्यु भी जगत् के जीवों के लिए आदर्श रूप होती है। वे अपने जीवन द्वारा How to live life ? 'जीवन कैसे जिया जाय' सिखाते हैं तो मृत्यु के द्वारा How to die ? 'किस प्रकार मौत का स्वागत किया जाय ?' यह बात भी सिखाते हैं। उनका जीवन आदर्शमय ! उनकी मृत्यु आदर्शमय ! योग्य जीवन के लिए योग्य कला का अभ्यास जरूरी है, उसी प्रकार योग्य मृत्यु के लिए मृत्यु की कला का अभ्यास भी जरूरी है। जिन्हें जीवन जीने की कला का भान नहीं है, वे तो कभी के मर चुके हैं। किसी कवि की ये पंक्तियाँ याद आ जाती हैं मृत्यु की मंगल यात्रा-46
SR No.032173
Book TitleMrutyu Ki Mangal Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1988
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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