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मृत्यु निश्चित है और अनिश्चित भी। मृत्यु होगी यह निश्चित बात है, किन्तु कब होगी--यह अनिश्चित बात है।
प्रिय मुमुक्षु 'दीपक' !
धर्मलाभ। परमात्मा की असीम कृपा से आनन्द है। अहमदाबाद से विहार कर कल ही यहाँ सानन्द पहुँचे हैं ।
आज पूज्यपाद भवोदधितारक अध्यात्मयोगी गुरुदेव पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकरविजयजी गणिवर्यश्री की नौवीं स्वर्गारोहण तिथि है। वैसे तो पू. गुरुदेवश्री को याद हृदय में सदैव रहती है परन्तु आज के दिन उनकी स्मृति प्रति पल हो रही है । पू. गुरुदेव का मुझ पर असीम उपकार है।
संसारतारक पू. गुरुदेव के उपकार का बदला हम कभी नहीं चुका सकते हैं। पूज्य उपाध्यायजी म. ने ठीक ही कहा हैसमकितदायक-गुरुतरणो, पच्चुवयार न थाय ।
मृत्यु की मंगल यात्रा-44