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व्यक्ति के हृदय की वेदना को कौन जान सकता है ? नोबल पुरस्कार विजेता अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने आत्महत्या कर अपने जीवन का अन्त ला दिया था।
प्रिय मुमुक्षु 'दीपक' !
धर्मलाभ। परमात्मा की असीम कृपा से प्रानन्द है। अरिहंत-परमात्मा तो करुणा के महासागर हैं। वे तो जगत् के भव्य जीवों पर सतत करुणा-वृष्टि कर ही रहे हैं बशर्ते कि उस करुणावृष्टि को ग्रहण करने के लिए हम पात्र बनें, सुपात्र बनें।
कल ही तुम्हारा पत्र मिला, पढ़ा, आनन्द हुआ।
'मृत्यु में समाधि कैसे प्राप्त हो ?' तुम्हारी इस जिज्ञासा ने मुझे भो चिन्तन के लिए प्रेरित किया।
'मृत्यु' के द्वारा हम देह का त्याग करते हैं।
शास्त्र में लिखा है-'मृत्यु के समय जो पीड़ा होती है, वह पीड़ा वाणी से अवाच्य है। अग्नि में तपाने से लालधूम बनी हुई लोहे की हजारों सुइयों को शरीर में चारों ओर से भोंका जाय'.... तो तू ही विचार कर उस व्यक्ति को कितनी पीड़ा होगी ?
मृत्यु की मंगल यात्रा-34