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________________ महात्मा बुद्ध ने सोचा- "इसका इकलौता पुत्र मर गया है और उसे यह जीवित कराना चाहती है परन्तु क्या मृत्यु के मुख में गया हुआ जीव पुनःजीवन पा सकता है ? इसे अपने पुत्र के प्रति अत्यन्त ही गाढ़ राग है.""प्रेम है "प्रासक्ति है.... अतः इसे किसी प्रकार से युक्तिपूर्वक समझाना होगा।" कुछ सोच-विचार कर महात्मा बुद्ध ने कहा-“भगिनी ! तुम्हारे पुत्र को स्वस्थ करने का एक उपाय है। तू इस पास के नगर में जाकर उस घर से थोड़ी सी भिक्षा लेकर आ जा, जिस घर में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु आज तक नहीं हुई हो।" महात्मा बुद्ध की यह वाणी सुनकर वह स्त्री प्रसन्न हो गई। उसने सोचा--"अभी मैं भिक्षा ले आऊंगी..."और मेरा बच्चा ठीक हो जाएगा।" तुरन्त ही वह स्त्री नगर की और दौड़ी। नगर में प्रवेश करने के बाद वह एक सेठ के द्वार पर खड़ी हो भिक्षा की याचना करने लगी। तुरन्त ही सेठ भिक्षा देने के लिए तैयार हो गया, परन्तु बुढ़िया ने अपनी शर्त कही-"आपके घर में अभी तक किसी की मृत्यु तो नहीं हुई है न ?” ___ बुढ़िया की बात सुनकर सेठ ने कहा "बहिन ! चार मास पूर्व ही मेरे पिता की मृत्यु हुई है।" . बुढ़िया ने कहा-"तो फिर मुझे भिक्षा नहीं चाहिये।" इतना कहकर वह आगे बढ़ गई और दूसरे घर से भिक्षा की मृत्यु की मंगल यात्रा-18
SR No.032173
Book TitleMrutyu Ki Mangal Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1988
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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