________________
बिल्कुल विस्मृत कर चुके हैं। जितनी बार जन्म धारण किया, उतनी ही बार मृत्यु से मुलाकात ली.... फिर भी हमें आज भी मृत्यु से उतना ही डर है । कोई भविष्यवेत्ता आकर कह दे"तीन दिन बाद तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी" बस ! खाना हराम, पीना हराम,....सब कुछ हराम हो जायेगा। आखिर ऐसा क्यों ? जन्म से इतनी घबराहट नहीं, तो फिर मृत्यु के समय इतनी घबराहट क्यों ? इसका एक मात्र कारण हैइस जीवन में हमने अनेक व्यक्तियों व वस्तुओं के साथ इस प्रकार के नाना रिश्ते जोड़ लिए हैं कि उन्हें हम छोड़ना नहीं चाहते और मृत्यु हमसे बलात् छुड़ाना चाहती है । मृत्यु के उस बलात्कार के कारण ही हम चिल्लाते हैं... रुदन करते हैं...कल्पांत करते हैंपरन्तु मृत्यु अपना कार्य साध ही लेती है । परन्तु हाँ, जिसने अपने जीवन में न नाता जोड़ा और न रिश्ता जोड़ा एक मात्र सहज जीवन जिसने जिया."उसे न तो मृत्यु सताती है.... और न ही वह मृत्यु से भयभीत होता है ।
मृत्यु की मंगल यात्रा-3