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________________ ६. मालोचना सूत्र विवेचना-विद्वद्वर्य लेखक मुनिश्री ने नवकार से लेकर 'वेयावच्चगराणं' तक के सूत्रों का विस्तृत विवेचन 'सामायिक सूत्र विवेचना' और 'चैत्यवंदन सूत्र विवेचना' पुस्तक में किया था। उसके बाद के सूत्रों का (वंदित्तु के पूर्व तक) विवेचन प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है। अठारह पापस्थानक का लाक्षणिक शैली में विस्तृत विवेचन अवश्य ही पढ़ने योग्य है। १०. जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है-लेखक मुनिश्री ने प्रस्तुत पुस्तक में ऐतिहासिक तीन चरित्र-नायकों के अद्भुत और रोमांचक जीवन-दर्शन को बहुत ही आकर्षक शैली में प्रस्तुत किया है। मां हो तो ऐसी हो' चरित्र कहानी सच्चे मातृत्व की पहचान कराने वाली है। शासन की रक्षा के लिए अपना जीवंत बलिदान देने की तैयारी बताने वाले 'प्रभावक सूरिवर' का चरित्र हम में नया उत्साह और जोश भरे बिना नहीं रहता और अन्त में 'ब्रह्मचर्य-प्रभाव' कहानी, जिसमें महामंत्री पेथड़शाह की जिंदगानी को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है, हमें ब्रह्मचर्य की महिमा समझाती है। पुस्तक अवश्य पठनीय है। ११. चेतन ! मोह नींद अब त्यागो-महोपाध्याय श्रीमद् यशोविजयजी विरचित 'चेतन ज्ञान अजुवालीए' सज्झाय का विस्तृत विवेचन अर्थात् 'चेतन ! मोह नींद अब त्यागो'। अनादि की मोह निद्रा में से प्रात्मा को जागृत करने के लिए महोपाध्यायश्री की कृति के अनुसार लेखक मुनिश्री ने बहुत ही सुन्दर विवेचन प्रस्तुत किया है, जो अवश्य पठनीय है। सम्भव है कि इस पुस्तक के वाचन से आपकी मोह निद्रा दूर हो जाय। मृत्यु की मंगल यात्रा-155
SR No.032173
Book TitleMrutyu Ki Mangal Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1988
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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