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________________ शिकारी पशुओं को भाले/तीर से बींध देते हैं, तब उन पशुओं को कितनी पीड़ा होती होगी ? केंसर के दर्दी की कराहें सुनी होंगी? टी. बी., डायबिटीज, अलसर, ब्लडप्रेशर, हार्टअटेक आदि रोगों के ददियों को देखा होगा? रेल, प्लेन, बस, ट्रक आदि के भयंकर एक्सीडेंट के समय मानवों की जो दुर्दशा होती है, उसके शायद दर्शन किये होंगे ? दुष्काल, अतिवृष्टि, बमवर्षा, अग्निप्रकोप आदि के समय जो भयंकर नरसंहार होता है, उस समय मनुष्यों की जो हालत होती है, उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं । ____ ग्रन्थकार महर्षि फरमाते हैं कि इस संसार में अन्य-अन्य जीवों की जो पर्यायें हमें दिखाई देती हैं, उन सब पर्यायों का अनुभव हमारी आत्मा ने किया है । ___संसार के समस्त सुखों का भोग भी हमारी आत्मा ने अनन्त बार किया है, अतः-दुनिया में पदार्थ व जीव की जिस पर्याय को देखकर हमें आकर्षण होता हो, उस समय सोचना चाहिये कि यह वर्तमान पर्याय मेरे लिए नयी नहीं है। अतः किसी विशिष्ट पर्याय विशेष से राग या द्वेष करना निरी अज्ञानता ही है। संसार अनादिकाल से है। संसार में आत्मा का अस्तित्व अनादिकाल से है और संसार में आत्मा और कर्म का संयोग भी अनादिकाल से है। अज्ञानता और मोह के कारण प्रत्येक आत्मा प्रतिसमय नये-नये कर्मों का बन्ध करती ही जा रही है और उन कर्मों के उदय के फलस्वरूप नाना प्रकार के जन्म धारण करती रहती है । कभी वह आत्मा मृत्यु की मंगल यात्रा-133
SR No.032173
Book TitleMrutyu Ki Mangal Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1988
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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