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सचमुचे, यह एक अनमोल ग्रन्थ है। वैराग्य के प्रगटीकरण के लिए, वैराग्य की ज्योति को अधिक प्रज्वलित करने के लिए और वैराग्य के दृढ़ीकरण/स्थिरीकरण के लिए इस प्रकार के ग्रन्थों का स्वाध्याय, मनन और चिन्तन अत्यन्त लाभप्रद होता है। .
हमारे जीवन पर निमित्त और वातावरण का अत्यधिक असर पड़ता है। निमित्त जड़ होने पर भी वह आत्मा को अत्यन्त प्रभावित करता है।
शब्द/अक्षर जड़ और पुद्गल स्वरूप होने पर भी उसका अपनी आत्मा पर अत्यन्त प्रभाव पड़ता है। __ आधुनिक विज्ञान ने शब्द/ध्वनि के विषय में खूब शोध की है।
ध्वनि के माध्यम से अनेक रोगों की चिकित्सा भी हो रही है।
• यूनानी कथानों में इस प्रकार के संगीत का वर्णन मिलता है, जिसे सुनकर व्यक्ति बेहोश हो जाता था और कभी मर भी जाता था। • कहते हैं बैजूबावरा का संगीत सुनकर हिरण दूर-दूर से दौड़कर आ जाते थे। • सुना है, एक बार सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित ओंकारनाथ लाहौर के प्राणो-गृह को देखने गये। पंडितजी को देखते ही एक बाघ गर्जना करने लगा""तुरन्त ही पण्डितजी ने एक राग
मृत्यु की मंगल यात्रा-102