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रसना की आसक्ति, भोग सुखों की आसक्ति प्रात्मा का पतन करा देती है।
आषाढ़ाभूति, कंडरीक मुनि, सुव्रत मुनि के पतन में कौन कारण बना था ?
रसना की आसक्ति ही न ?
नंदिषेण, अरणिक मुनि, संभूति मुनि के पतन में कौन कारण बना था ?
भोग-सुखों की आसक्ति ही न ? अतः सावधान बनो ! मानव-जीवन के अमूल्य क्षण को व्यर्थ न गँवानो। ज्यादा क्या लिखू !
तुम ज्यों-ज्यों 'वैराग्य शतक' ग्रंथ का अवगाहन करते जावोगे, त्यों-त्यों तुम्हारी अन्तरात्मा में वैराग्य की ज्योति प्रज्वलित हुए बिना नहीं रहेगी, ऐसा मुझे विश्वास है ।
आराधना में उद्यमवन्त रहना। परिवार में सभी को धर्मलाभ कहना।
शेष शुभम् ।
-रत्नसेनविजय
मृत्यु की मंगल यात्रा-85