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ના આવરણરૂપી અંધકારને દૂર કરા આપના પ્રવચનરૂપી પ્રકાશ માત્ર એક જ समर्थ छे.
जैसे बहुतकाल से गुफा में स्थित अन्धकारको दूर करनेके लिये मणिके प्रकाशके अतिरिक्त कोई दुसरा साधन नहीं है, उसी प्रकार हे भगवान् ! अनादिकाल से हृदय में स्थित अज्ञान और मोहके समूहरूप आवरण जनित गाढ अन्धकारको दूर करने में आपके प्रवचनरूपी प्रकाश ही एक समर्थ है ॥ ९ ॥ वाक्यं प्रमाण -नय-रीति-गुण-विहीनं,
निर्भूषणं यदपि बोधिद ! मामकीनम् । स्यादेव देव-नर- लोक - हिताय युष्मत्
संगाद् यथा भवति शुक्ति - गतो - दबिन्दुः १०